कहानी - रामायण में सीता जी की खोज में सभी वानर निकल चुके थे। समुद्र किनारे वानरों को ये सूचना मिली कि सीता जी लंका में हैं। अब प्रश्न ये था कि लंका जाएगा कौन?
बहुत विचार-विमर्श करने के बाद ये तय हुआ कि हनुमान जी लंका जाएंगे। हनुमान जी ने लंका के लिए उड़ने से पहले तीन काम किए। पहला, सभी वानरों को प्रणाम किया। ये काम उनके लिए जरूरी नहीं था, क्योंकि कुछ तो उनसे बहुत छोटे थे और कम योग्य थे, फिर भी उन्होंने सभी को मान दिया। दूसरा काम, जामवंत की बातें ध्यान से सुनीं। तीसरा काम, भगवान श्रीराम को हृदय में रखा यानी भगवान का ध्यान किया।
इन तीनों कामों के बाद हनुमान जी ने सभी वानरों से कहा, 'मेरा मन बहुत प्रसन्न है। जब तक मैं काम करके लौटूंगा, तब तक आप यहीं रहें।'
सभी वानरों ने सोचा कि हनुमान तो मानकर ही चल रहे हैं कि वे काम करके लौट आएंगे। ये आत्मविश्वास है या बड़बोलापन। सभी वानरों को हनुमान जी की हर बात पर बहुत भरोसा था तो उन्होंने हनुमान जी को पूरे उत्साह के साथ विदा किया।
सीख - जब भी कोई बड़ा काम करना हो तो विनम्रता, गंभीरता और प्रसन्नता स्वभाव में होनी चाहिए। विनम्रता ये थी कि हनुमान जी ने सभी वानरों को प्रणाम किया। गंभीरता ये थी कि उन्होंने बूढ़े और अनुभवी जामवंत की बातें ध्यान से सुनीं। प्रसन्नता ये थी कि उन्होंने भगवान को हृदय में रखा। इन तीन बातों से आत्मविश्वास जागा। हनुमान जी को अपनी कार्यशैली पर भरोसा था कि मैं सफल हो जाऊंगा। हमें भी काम की शुरुआत में ये 3 बातें अपने स्वभाव में रखनी चाहिए।
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