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कहानी - शिवपुराण की शुरुआत में बिंदुक और चंचुला नाम के पति-पत्नी की कहानी बताई गई है। बिंदुक का आचरण अच्छा नहीं था। विवाह के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।
पति के बिना चंचुला बहुत ज्यादा दिनों तक अपना आचरण ठीक नहीं रख पाई और वह भी गलत काम करने लगी। एक दिन उसे अपने गलत कामों का पछतावा होने लगा। वह शिवपुराण की कथा सुनने लगी। जब उसकी मृत्यु हुई तो उसकी आत्मा शिवलोक पहुंची।
शिवलोक में चंचुला को गणेशजी, नंदी, वीरभद्रेश्वर और पार्वती दिखाई देती हैं, लेकिन शिवजी का रूप देखकर चंचुला हैरान हो जाती है, क्योंकि शिवजी पंचमुखी स्वरूप में थे।
किसी ने ग्रंथकार से पूछा, 'शिवपुराण के प्रथम अध्याय में ही शिवजी के पंचमुखी स्वरूप को क्यों दर्शाया गया है?'
ग्रंथकार ने उत्तर दिया, 'शिव कल्याण का रूप हैं। और, कल्याण के पांच भाग होते हैं। ये भाग हैं- सुख, शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार। शिवपुराण जैसे ग्रंथ की शुरुआत हो रही है और शिवजी अपना पंचमुखी स्वरूप दिखाकर संदेश दे रहे हैं कि जब भी कोई अभियान या किसी काम की शुरुआत की जाए तो कल्याण की भावना जरूर होनी चाहिए। और, वो कल्याण इन पांच भागों में विभाजित होना चाहिए। जब ये पांचों भाग ठीक रहेंगे, तब ही हमारा सबसे बड़ा कल्याण हो सकता है।'
सीख - हम जब भी कोई काम करते हैं तो उसमें सुख, शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार का ध्यान जरूर रखें। इन पांच के बिना हम कोई बड़ा काम करेंगे तो भौतिक लाभ तो मिल सकता है, लेकिन सुख-शांति नहीं मिल पाती है।
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