कहानी - महात्मा गांधी से जुड़ी घटना है। रेलगाड़ी चंपारण से बेतिया की ओर जा रही थी। तीसरे दर्जे के डिब्बे में काफी भीड़ थी। रात हो चुकी थी। एक स्टेशन पर रेल रुकी तो एक हट्टा-कट्टा किसान उस डिब्बे में चढ़ा।
उस समय जो ताकतवर होता था, वह दूसरों की जगह ले लेता था। हट्टे-कट्टे किसान ने एक सीट पर दुबले-पतले व्यक्ति को बैठा हुआ देखा तो उसने दुबले व्यक्ति का हाथ पकड़कर उसे उठा दिया और कहा, 'यहां क्यों बैठा है, उधर जाकर बैठ।'
वो दुबले-पतले व्यक्ति मोहनदास करमचंद गांधी थे। गांधी जी उस पहलवान को देखकर वहीं नीचे बैठ गए और कहा, 'आप सीट पर बैठ जाइए।' किसान ठाठ से सीट पर बैठ गया।
किसान ने गाना शुरू किया, 'धन्य-धन्य गांधी महाराज, दुखियों का दुख मिटाने वाले।' वह ये लाइन बार-बार गाए जा रहा था और गांधी जी को याद कर रहा था।
नीचे बैठे हुए गांधी जी उसे मुस्कान के साथ देख रहे थे। कुछ समय बाद बेतिया स्टेशन आ गया। स्टेशन पर बहुत बड़ी संख्या में लोग गांधी जी का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे। जय-जयकार के नारे लगाए जा रहे थे। जैसे ही कुछ लोग डिब्बे में चढ़े तो गांधी जी खड़े हुए और डिब्बे से उतर गए।
हट्टे-कट्टे किसान को कुछ समझ आया और वह तुरंत उठा और डिब्बे से उतरकर गांधी जी के पैरों में गिर पड़ा। ये देखकर सभी लोगों ने गांधी जी से पूछा, 'हुआ क्या है?'
गांधी जी बोले, 'मेरे एक प्रेमी ने मुझसे प्रेम जताया था।'
सीख - ये घटना हमें सबक देती है कि अगर कोई हमारे साथ बुरा व्यवहार करता है तो हम उसका प्रतिकार या तो झगड़ा करके कर सकते हैं या उसे सहन कर सकते हैं। अगर हम प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, लोग हमारे बारे में जानते हैं तो हमें और ज्यादा विनम्र होना चाहिए। विनम्रता बड़े लोगों का गहना होती है।
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