13 मई शुक्रवार को प्रदोष व्रत किया जाएगा। ये व्रत त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से दाम्पत्य सुख मिलता है और परेशानियां दूर हो जाती हैं। वैशाख मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नारद जी ने बताया कि वैशाख को ब्रह्माजी ने सब महीने में बहुत अच्छा कहा है। ये महीना संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। इसलिए इस महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से बहुत पुण्य लगता है।
कैसे किया जाता है ये व्रत
व्रत के दिन सूर्य उदय से पहले उठकर नहाते हैं और नहाने के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं। फिर पूरे घर की सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। इसके बाद शिव मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करते हैं और जल चढ़ाते हैं। फिर पूरे दिन नियम और संयम के साथ व्रत रखते हैं। शाम को सूर्यास्त से पहले फिर से नहाते हैं और सफेद कपड़े पहनते हैं।
इसके बाद पूजा घर को मिट्टी और गाय के गोबर से लीपते हैं और मंडप तैयार करके उसमें पांच रंगों से रंगोली बनाई जाती है। फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। पूजा के समय कुशा से बने आसन का प्रयोग करना चाहिए। पूजा करते समय भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए।
प्रदोष व्रत रखने से लाभ
शिवपुराण के अनुसार प्रदोष व्रत करने से गाय का दान करने जितना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस तरह पूरे दिन व्रत रखने और पूजा करने से हर तरह की परेशानियां खत्म हो जाती है। वैशाख माह में पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत के प्रभाव से दाम्पत्य जीवन में सुख बढ़ता है। सेहत संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शिव पुराण के अनुसार इसे सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला व्रत कहा जाता है। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद शिवलोक को प्राप्त करता है।
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