बुधवार, 23 नवंबर को अगहन मास की अमावस्या है। इस दिन अगहन माह का कृष्ण पक्ष खत्म होगा और 24 तारीख से शुक्ल पक्ष शुरू होगा। अगहन मास की अमावस्या को पर्व की तरह माना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, धूप-ध्यान और तीर्थ दर्शन करने का महत्व काफी अधिक है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक बुधवार को अमावस्या होने से इस दिन गणेश पूजा करने का शुभ योग बन रहा है। साथ ही, इस दिन बुध ग्रह के लिए भी पूजन करना चाहिए।
अमावस्या पर पितरों के लिए करें धूप-ध्यान
अगहन अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान, श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ कर्म करना चाहिए। धूप-ध्यान के लिए गाय के गोबर से बने कंडे का उपयोग करें। कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब जलते हुए कंडों के अंगारों पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी चढ़ाएं। धूप देते समय घर-परिवार के सभी पितरों का ध्यान करना चाहिए।
धूप-ध्यान दोपहर में 12 बजे के बाद ही करें, क्योंकि दोपहर का समय पितरों से जुड़े शुभ कर्म करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
पितरों के लिए धन, अनाज और गर्म कपड़ों का दान भी करें।
अगहन अमावस्या पर करें नदी स्नान
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