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रविवार, 11 अप्रैल और सोमवार 12 अप्रैल को चैत्र मास की अमावस्या तिथि है। रविवार को सुबह सर्वार्थ सिद्ध योग भी रहेगा। इस योग में किए गए पूजा-पाठ जल्दी सफल हो सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार चैत्र मास की अमावस्या पर शिवजी, सूर्य और पितरों के लिए विशेष पूजा-पाठ करनी चाहिए। रविवार को स्नान दान और श्राद्ध कर्म की अमावस्या रहेगी। इस दिन किसी पवित्र नदीं में स्नान करने और दान-पुण्य करने का महत्व है। इसके बाद पितरों के लिए श्राद्ध आदि कर्म करन चाहिए।
सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा गया है। इस दिन भी पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य आदि शुभ काम करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें।
अमावस्या पर किसी शिव मंदिर में अभिषेक करना चाहिए। तांबे के लोटे में जल भरें और शिवलिंग पर चढ़ाएं। चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। भगवान को बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल, आंकड़े के फूल आदि चीजें अर्पित करें। शिवलिंग पर जनेऊ चढ़ाएं। चंदन से तिलक लगाएं। पंचामृत अर्पित करें। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए। ध्यान रखें शिवजी की पूजा तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए। भगवान को मिठाई का भोग लगाएं।
दीपक जलाकर शिवजी की आरती करें। पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। आप चाहें तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। दीपक से आरती करें। पूजा के बाद भगवान से भूलचूक के लिए क्षमा मांगे। अन्य भक्तों को प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।
इस तरह शिव पूजा रविवार और सोमवार को दोनों दिन की जा सकती है।
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