मंगलवार (28 जून) और बुधवार (29 जून) को आषाढ़ मास की अमावस्या है। इस साल आषाढ़ मास की अमावस्या दो दिन रहेगी। इस दिन तीर्थ दर्शन और नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इनके साथ ही देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान किया जाता है। इसके लिए जलते हुए कंडे पर गुड़-घी डालकर धूप दिया जाता है। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। अमावस्या को भी एक पर्व माना गया है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक आषाढ़ मास अमावस्या को हलहारिणी अमावस भी कहते हैं। इस तिथि पर देवी लक्ष्मी का विष्णु जी के साथ विशेष अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के समय प्रकट हुई थीं। इसी वजह से हर महीने इस तिथि पर देवी के लिए खास पूजा-पाठ करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद करें लक्ष्मी जी और विष्णु जी की पूजा
अमावस्या पर लगाएं इन जगहों पर दीपक
सूर्यास्त के बाद देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर, तुलसी के पास, रसोई घर में सुरक्षित जगह पर दीपक जरूर जलाएं। घर के पास किसी मंदिर में भी दीपक जलाएं।
जरूरतमंद लोगों को करें इन चीजों का दान
अभी बारिश का समय है तो जरूरतमंद लोगों को छाते का दान करें। इसके साथ ही वस्त्र, अनाज और धन का दान भी करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल करने के लिए धन का दान करें।
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