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अश्वमेध और राजसूय यज्ञ जितना पुण्य देने वाला व्रत:तिल द्वादशी 19 जनवरी को, इस दिन महालक्ष्मी योग में होगी भगवान विष्णु की पूजा

2 महीने पहले
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माघ महीने की कृष्ण पक्ष के बारहवें दिन तिल द्वादशी व्रत किया जाता है। इस बार ये 19 जनवरी, यानी आज किया जाएगा। इस व्रत में खासतौर से भगवान विष्णु की पूजा तिल से की जाती है। साथ ही तीर्थ में स्नान और दान करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है।

वडोदरा के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के मुताबिक इस बार तिल द्वादशी पर गुरुवार है। जो कि भगवान विष्णु की आराधना का दिन होता है। साथ ही ध्रुव और महालक्ष्मी नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। बृहस्पति भी खुद की राशि में होकर चंद्रमा पर दृष्टि डाल रहा है। ग्रहों की ये स्थिति शुभ संयोग बना रही है। जिससे इस दिन किए स्नान-दान और व्रत से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा।

कैसे करें व्रत और पूजा
तिल द्वादशी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करें। ये न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। इसके बाद तिल मिले हुए पानी से भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। फिर अन्य पूजन सामग्री के साथ तिल भी चढ़ाएं। पूजा के बाद तिल का ही नैवेद्य लगाएं और उसका प्रसाद खुद लेकर सभी को बांटें।

महत्व : तिल द्वादशी व्रत करने से हर तरह का सुख और वैभव मिलता है। ये व्रत कलियुग के सभी पापों का नाश करने वाला व्रत माना गया है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

डॉ. तिवारी पद्म पुराण के हवाले से कहते हैं कि माघ महीने की द्वादशी तिथि पर तिल मिले पानी से नहाने, तिल खाने और तिल दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। जिसका शुभ फल कभी खत्म नहीं होता। इस तरह तिल से द्वादशी का व्रत करने से कई जन्मों के जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

महाभारत में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि जो माघ महीने में तपस्वियों को तिल दान करने से कभी नरक नहीं जाना पड़ता है। माघ महीने की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। तिल द्वादशी पर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

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