शुक्रवार की रात तकरीबन 3 बजे सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क में आ जाएगा। पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य कर्क राशि में आकर दक्षिणायन हो जाएगा। अगले 6 महीने यानी मकर संक्रांति तक सूर्य दक्षिणायन ही रहेगा। हर महीने सूर्य राशि बदलता है। सूर्य के राशि परिवर्तन से मौसम में भी बदलाव होता है।
सूर्य के कारण धरती के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में ऋतुएं बदलती हैं। अब सूर्य के दक्षिणायन होने से धरती के उत्तरी गोलार्द्ध वाले देशों में धीरे-धीरे ठंड का मौसम आने लगेगा। वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध वाले देशों में सूर्य की रोशनी ज्यादा देर तक रहने से वहां गर्मी का मौसम रहेगा।
दक्षिणायन के समय देवताओं का दिन
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक जब दक्षिणायन के समय यानी जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब देवताओं का मध्याह्न काल होता है। ये समय 16 जुलाई से 17 अगस्त तक रहेगा। इसके बाद सूर्य सिंह राशि में आ जाएगा और 17 सितंबर तक देवताओं का दिन रहेगा। इसके बाद देवों का सायंकाल समय शुरू हो जाएगा। देत्यों के दिन-रात इसके उलट होते हैं। यानी जब देवताओं का दिन होता है तब देत्यों की रात होती है।
सुख-समृद्धि बढ़ाने वाली कर्क संक्रांति
डॉ. मिश्र बताते हैं कि इस बार सूर्य रात के समय मिथुन से निकलकर कर्क राशि में जाएगा। ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के मुताबिक रात में संक्रांति हो तो सुख देने वाली होती है। इस बार शुक्रवार को सूर्य राशि परिवर्तन होने से इस बार मिश्र नाम की संक्रांति रहेगी। जो कि सुख और समृद्धि बढ़ाने वाली रहेगी। ये संक्रांति व्यापारियों के लिए अच्छी रहेगी। वस्तुओं की लागत सामान्य होगी।
धन और समृद्धि लाती है। लोगों की सेहत में सुधार होगा। देश में अनाज भण्डारण बढ़ेगा।
साल में दो बार सूर्य की स्थिति में बदलाव
साल में दो बार सूर्य की स्थिति में बदलाव होता है। कर्क संक्राति (जुलाई) पर सूर्य दक्षिणायन होते हैं और अगले 6 महीने तक इसी तरह रहते हैं। इसके बाद मकर संक्रांति (जनवरी) पर उत्तरायण होते हैं। सूर्य की ये स्थिति 6-6 महीने तक रहती है। दक्षिणायन के दौरान बारिश और ठंड की शुरुआत वाला मौसम रहता है। वहीं उत्तरायन के वक्त ठंड का आखिरी, गर्मी और बारिश की शुरुआत का समय रहता है।
दक्षिणायन के मायने
सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ गति करता है जबकि दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इसीलिए उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं। इसी कारण उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है, जबकि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं।
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