गुरुवार, 28 जुलाई को हरियाली अमावस्या है, इस दिन सावन महीने का एक पक्ष पूरा हो जाएगा और अगले दिन यानी 29 जुलाई से सावन शुक्ल पक्ष शुरू होगा। इस बार हरियाली अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य नक्षत्र भी रहेगा। इन योगों में अमावस्या से संबंधित धर्म-कर्म करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार हरियाली अमावस्या पर पूजा-पाठ, स्नान-दान, श्राद्ध-तर्पण के साथ ही प्रकृति की सेवा करने का दिन है। इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करें। दोपहर में गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उस पर गुड़-घी डालकर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। धूप देते समय हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें।
हरियाली अमावस्या पर भक्त अपने-अपने क्षेत्र की पवित्र नदियों में स्नान के लिए पहुंचते हैं। अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। अगर नदी स्नान करने जा रहे हैं तो नदी में स्नान के बाद नदी के पानी से ही सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। नदी में स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल और वस्त्रों का दान करें। नदी में स्नान करते लापरवाही बिल्कुल न करें। अभी बारिश की वजह से सभी नदियों में पानी काफी अधिक है। किसी विशेषज्ञ व्यक्ति के मार्गदर्शन में ही स्नान करें।
हरियाली अमावस्या पर लगाएं पौधे
इस दिन अपने घर के आसपास किसी सार्वजनिक जगह पर या किसी मंदिर में पीपल, नीम, बिल्व, आंवला, आम या किसी अन्य छायादार वृक्ष का पौधा लगाएं। पौधा ऐसी जगह लगाएं, जिससे आम लोगों को उसकी छाया और फल मिल सके।
गुरुवार को शिव जी और विष्णु जी की करें पूजा
गुरुवार को ऊँ नम: शिवाय का जप करते हुए शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं। बिल्व पत्र, दुर्वा, आंकड़े के फूल आदि चीजें चढ़ाएं। विष्णु जी का अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करें। गुरु ग्रह की पूजा भी शिवलिंग रूप में ही की जाती है। शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं। दीपक जलाएं और बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
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