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माघ में स्नान-दान और पूजा के पर्व:जया एकादशी और तिल द्वादशी आज, 5 फरवरी को माघ पूर्णिमा पर विष्णु पूजा से मिलता है कई यज्ञों का पुण्य

4 महीने पहले
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माघ महीने में भगवान विष्णु की पूजा से हर तरह के दोष और पाप खत्म हो जाते हैं। इस पवित्र महीने में विष्णु पूजा के दो दिन 1 और 5 फरवरी को रहेंगे। इनमें बुधवार को जया एकादशी और तिल द्वादशी रहेगी। इन दोनों तिथियों में भगवान विष्णु की तिल से पूजा करने की परंपरा है। इसके बाद 5 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा रहेगी। पुराणों में इस तिथि को भी विष्णु पूजा का पर्व बताया गया है।

इन तिथियों पर सुबह जल्दी उठकर तीर्थ-स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा होती है। तिल से बनी मिठाइयों का नेवेद्य लगाया जाता है और व्रत के दौरान फलाहार में तिल से बनी चीजें ही खाई जाती है।

तीर्थ स्नान की परंपरा
पुराणों के मुताबिक, इन दो पर्वों पर भगवान विष्णु की तिल से पूजा करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य फल मिलता है। इन दो दिनों में तीर्थ स्नान की भी परंपरा है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी को पवित्र नदियों में स्नान करने से पूरे साल तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है। इस बार माघी पूर्णिमा पर रवि पुष्य संयोग भी होने से इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में नहाने से जाने-अनजाने हुए पाप और हर तरह के दोष खत्म होंगे।

घर पर ही कर सकते हैं पवित्र स्नान
इन पर्वों पर तीर्थों में न जा सकें तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़े से तिल, एक चुटकी चंदन और गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल मिलाकर नहा लें। इस तरह का पवित्र स्नान करने से भी तीर्थ स्नान का पूरा फल और पुण्य मिल जाएगा।

व्रत और दान से कई यज्ञों का फल
इन पर्वों पर व्रत रखने के साथ सिर्फ तिल का फलाहार करने का विधान भी शास्त्रों में बताया गया है। साथ ही जया एकादशी, द्वादशी और माघ मास की पूर्णिमा तिथि पर तिल दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है। गर्म कपड़े, खाना, कंबल, जूते-चप्पल और अन्य जरूरी चीजें दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। व्रत और दान की इस परंपरा से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।