आज सूर्य वृश्चिक राशि में आ रहा है। इसलिए वृश्चिक संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य देकर अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करते हैं। पुराणों में कहा गया है कि हर महीने आने वाले संक्रांति पर्व पर तीर्थ स्नान और दान के साथ ही सूर्य पूजा से उम्र बढ़ती है और बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। क्योंकि वेदों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है। अब 15 दिसंबर तक सूर्य वृश्चिक राशि में रहेगा।
संक्रांति पर तीर्थ स्नान
संक्रांति पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करने का विधान है। ऐसा नहीं कर सकते तो घर पर ही पानी में पवित्र नदियों का जल मिलाकर नहा सकते हैं। साथ ही पानी में तिल और थोड़ा सा लाल चंदन भी डालना चाहिए। इस तरह नहाने से तीर्थ में दिव्य स्नान करने जितना पुण्य मिलता है। इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
दान के साथ पितरों का भी पर्व
संक्रांति के दिन तीर्थ स्नान और दान का खास महत्व होता है। इसलिए इस दिन कपड़े, खाने-पीने और जरूरत की चीजों के दान करने की परंपरा है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व होता है।
इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण करने से पितर संतुष्ट होते हैं। वृश्चिक संक्रांति पर पुण्यकाल में किए गए दान का कई गुना शुभ फल मिलता है। इनमें कई तरह की चीजों का दान करने का विधान पुराणों में बताया गया है।
अर्घ्य और पूजन की विधि
सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य की पूजा करनी चाहिए। पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्य देव को अर्घ्य दें।
मिट्टी या तांबे का दीपक जलाएं। सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं। गुग्गल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर आदि चढ़ाना चाहिए।
गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं। लाल चंदन की माला से “ॐ दिनकराय नमः” मंत्र का जाप करें। पूजन के बाद नैवेद्य लगाकर प्रसाद के तौर पर बांट दें।
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