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सुख-समृद्धि की कामना से किया जाता है चतुर्थी व्रत:गणेश जी के साथ ही देवी दुर्गा का शुभ योग, शनिदेव के लिए करें तेल और काले तिल का दान

3 महीने पहले
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अभी चैत्र मास की नवरात्रि चल रही है और शनिवार (25 मार्च) को नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। शनिवार को चैत्र शुक्ल चतुर्थी भी है, ये गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने की तिथि है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी व्रत घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना से किया जाता है। मान्यता है कि जो लोग ये व्रत करते हैं, उन्हें गणेश जी की कृपा मिलती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं, घर में सुख-समृद्धि मिल सकती है। गणेश जी के साथ देवी दुर्गा और शिव जी की पूजा भी की जाएगी तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। ये सभी एक ही परिवार के देवी-देवता हैं। इसलिए इनकी एक साथ की गई पूजा ज्यादा शुभ मानी गई है।

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन शनिवार को

चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है। देवी कूष्मांडा के संबंध में मान्यता है कि जब सृष्टि में सिर्फ अंधकार था, उस समय देवी ने कूष्मांडा स्वरूप में अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। देवी कूष्मांडा हमें संदेश देती हैं कि जीवन में जब भी असफलताओं का दौर आता है, हमें निडर होकर बाधाओं का सामना करना चाहिए। जिस तरह अंधकार के बाद उजाला आता है, ठीक इसी तरह असफलताओं के बाद भी कोशिश करते रहने से सफलता जरूर मिलती है।

ऐसे कर सकते हैं देवी कूष्मांडा की पूजा - देवी मां को लाल चुनरी, लाल फूल, लाल चूड़ियां, इत्र, सिंदूर आदि चीजें चढ़ाएं। देवी मां को दूर्वा, नारियल भी अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। दुर्गा मां के सामने दीपक जलाकर देवी मां के नामों का जप कर सकते हैं।

शनिवार को कर सकते हैं ये शुभ काम भी

शनिवार को शनि देव के लिए विशेष पूजा करने की परंपरा है। शनि देव का तेल से अभिषेक करें। तेल और काले तिल का दान करें।

हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर और चमेली के तेल से चोला भी चढ़ा सकते हैं।

गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें।

शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

जरूरतमंद लोगों को कपड़े, जूते-चप्पल और अनाज का दान करें। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए भी धन का दान कर सकते हैं।