सूर्य पूजा के महापर्व छठ पूजा में 30 अक्टूबर को डूबते सूर्य को और 31 की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सिर्फ छठ पूजा पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। भगवान सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं। हर एक शुभ काम की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ जाती है। सूर्य देव को रोज सुबह अर्घ्य चढ़ाने और 12 मंत्रों का जप करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक छठ पूजा पर और रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देते समय भगवान सूर्य नारायण के 12 नामों का जप करना चाहिए। ये है 12 नाम वाला मंत्र-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।
सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्।।
ये हैं छठ माता से जुड़ी मान्यताएं
मान्यता है कि प्रकृति ने खुद को छह भागों में बांटा था। इनमें छठे भाग को मातृ देवी कहा जाता है।
छठ माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री कहते हैं।
देवी दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी को भी छठ माता कहते हैं।
छठ माता को सूर्य भगवान की बहन कहते हैं। इस वजह से सूर्य के साथ छठ माता की पूजा होती है।
छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी गई हैं। इस वजह से संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से छठ पूजा का व्रत किया जाता है।
भविष्य पुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य पूजा करने के लिए कहा था। बिहार में कथा प्रचलित है कि देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था और व्रत के प्रभाव से ही इनके जीवन के सभी कष्ट दूर हुए थे।
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