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गुप्त नवरात्र में शिव-शक्ति पूजा का दिन:रविवार को अष्टमी और नवमी तिथि का संयोग; अष्टमी के स्वामी शिव और नवमी तिथि देवी दुर्गा की

4 महीने पहले
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गुप्त नवरात्रि के चलते 29 जनवरी को शिव और शक्ति की आराधना का शुभ योग बन रहा है। एक ही दिन में अष्टमी और नवमी दोनों तिथियों का होना अपने आप में शुभ संयोग हैं। जानकारों के मुताबिक ये शिव-शक्ति की आराधना के लिए खास दिन होता है। क्योंकि अष्टमी के स्वामी शिव होते हैं वहीं, नवमी तिथि देवी दुर्गा की होती है। साथ ही इस दिन रविवार होने से देवी आराधना का शुभ फल और बढ़ जाएगा।

दो शुभ योग, जिनकी स्वामी भी देवी
रविवार को सुबह 11 बजे तक शुभ नाम का योग रहेगा। जिसकी स्वामी देवी लक्ष्मी हैं। इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा जो कि अगले दिन सुबह करीब 10.50 तक रहेगा। इस योग की स्वामी देवी पार्वती हैं। इस तरह शक्ति की ऊर्जा से बनने वाले दो शुभ योगों में शिव और देवी की विशेष आराधना से मिलने वाला पुण्य फल और बढ़ जाएगा।

कैसे करें शिव पूजा
माघ मास के गुप्त नवरात्र में भगवान शिव की पूजा सुबह और शाम, दोनों वक्त करनी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ जल से नहाएं। देवी के साथ शिवजी की पूजा का भी संकल्प लें। पहले शिवजी की पूजा करें फिर देवी की। ऊँ नम: शिवाय या मृत्युंजय मंत्र का जाप करने के साथ शिवजी का अभिषेक करें।

ऐसा न कर पाएं तो दूध में गंगाजल और पानी मिलाकर मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें। इसके बाद दिनभर व्रत रखें। शाम को सूर्यास्त के बाद और रात शुरू होने से पहले, यानी प्रदोष काल में शिव मंदिर में तिल के तेल का दीपक लगाएं। शाम को भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।

देवी आराधना की विधि
सुबह जल्दी उठें। पानी में लाल चंदन मिलाकर नहाएं। लाल कपड़े पहनें और लाल चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद देवी आराधना करें। दस महाविद्याओं में से किसी भी देवी के मंत्रों का जाप करें। ऊँ नमश्चंडिकायै मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। दिनभर व्रत रखें साथ ही कन्याओं को भोजन करवा सकते हैं।

ये सब न कर पाएं तो किसी भी देवी मंदिर में जाकर इत्र और लाल फूल चढ़ाएं। घी का दीपक लगाएं। मौसमी फल या मिठाई का भोग लगाएं। शाम को फिर देवी मंदिर में घी का दीपक लगाएं। ऐसा करने से भी देवी आराधना का फल मिलेगा।