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15 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसे सूर्य संक्रांति कहते हैं। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि बुधवार को सुबह सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। पंचांगों में ये राशि परिवर्तन 15 तारीख को बताया गया है। लेकिन काशी के विद्वानों के मुताबिक 16 दिसंबर को सुबह सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए इसी दिन तीर्थ स्नान, दान और पूजा का महत्व ज्यादा रहेगा।
पं. मिश्र बताते हैं कि सूर्य का किसी राशि में प्रवेश संक्रांति कहलाता है और जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। ये कभी मार्गशीर्ष तो कभी पौष मास में आती है। धनु संक्रांति पर्व हेमंत ऋतु में मनाया जाता है। यह इस बार 16 दिसंबर को है। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु में प्रवेश कर रहे हैं।
सूर्य के दिवाकर रूप की पूजा
धनु संक्रांति के दिन सूर्यदेव के दिवाकर रूप की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस पर्व पर पवित्र नदियों के जल में स्नान करने से मनुष्यों के द्वारा किये गये बुरे कर्म या पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस दिन पूजा करने से भविष्य सूर्य की भांति चमक उठता है।
पूजा विधि
संक्रांति पर्व पर गौ दान का महत्व
धनु संक्रांति पर्व मनाने वालों को दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पूरे दिन ज़रुरतमंद लोगों को दान करना चाहिए। कोशिश करना चाहिए इस दिन नमक न खाएं। इस पर्व पर भगवान सूर्य, विष्णु और शिवजी की पूजा करनी चाहिए। इनके अलावा पितृ शांति के लिए तर्पण करने का भी महत्व है।
धनु संक्रांति पर गौ दान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रंथों के मुताबिक इस संक्रांति पर गौ दान से हर तरह के सुख मिलते हैं। पाप खत्म हो जाते हैं और परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। गौ दान नहीं कर सकते तो गाय के लिए एक या ज्यादा दिनों का चारा दान करें। इस तरह दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं।
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