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योगगुरु वाईके शर्मा. निराशावादी व्यक्ति के जीवन में असंतोष ही रहता है। वह यह समझ बैठता है कि वह कोई काम नहीं कर सकता। वह नकारात्मक कल्पनाओं और अनहोनी संभावनाओं से जीवन को और ज्यादा दुखी बना लेता है।
ऐसा व्यक्ति जीवित होते हुए भी मृतक के समान हो जाता है। निराशा जीवन की सुख-शांति नष्ट कर देती है। निराश व्यक्ति के जीवन में उत्साह नहीं रहता है। वह निष्क्रिय हो जाता है। बेकारी से परेशान होकर आर्थिक तंगी, परीक्षा या व्यापार में असफलता, प्रेम-प्रसंग में असफलता की वजह से निराशा बढ़ने लगती है। दुखी व्यक्ति अपने चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा देखता है।
निराशा से बचने के लिए व्यक्ति को अपने मन में आत्म विश्वास बनाए रखना चाहिए। सकारात्मक विचारों से निराशा दूर हो सकती है। मन मजबूत होगा तो निराशा आप पर हावी नहीं हो सकती है।
निराशा की वजह से मन अस्थिर हो सकता है। व्यक्ति को हर बात में नकारात्मकता दिखाई देती है। आशा और आत्मविश्वास से निराशा को दूर किया जा सकता है। मुश्किल परिस्थितियों में भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कर्म करते रहना चाहिए। धैर्य के साथ अगर हम आगे बढ़ते रहेंगे तो सफलता जरूर मिलती है। अवश्य सफल होंगे।
असफलता ही सफलता की सीढ़ी है। हार में असफलता नहीं, हार मान लेने से हम असफल हो जाते हैं। गिरकर संभालना ज्यादा जरूरी है। ठोकर खाकर निराश नहीं होना चाहिए, धैर्य के साथ सभी तरह की बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
(लेखक - योगाश्रय सेवायतन प्राकृतिक चिकित्सा और ध्यान योग केंद्र जयपुर, राजस्थान के संस्थापक हैं।)
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