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शनिवार, 14 नवंबर की रात यानी आज लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। लक्ष्मीजी की पूजा से जुड़ी कई ऐसी परंपराएं, जिनका पालन सभी लोग अनिवार्य रूप से करते हैं। जैसे पूजा में देवी का नया फोटो रखा जाता है, खील-बताशे, गन्ना और सिंघाड़े चढ़ाएं जाते हैं, देवी को कमल का फूल अर्पित किया जाता है। इन सभी परंपराओं में जीवन प्रबंधन के सूत्र भी छिपे हैं। अगर इन सूत्रों को अपने व्यक्तित्व में उतार लिया जाए तो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि मिल सकती है।
घर में लक्ष्मी की कौन सी तस्वीर रखें, बैठी हुई या खड़ी हुई?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर की पूजा करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। जिस तस्वीर में लक्ष्मीजी खड़ी हुई हैं, उस तस्वीर के संबंध में मान्यता है कि ऐसी लक्ष्मी ज्यादा समय तक एक घर में नहीं रुकती हैं। क्योंकि, देवी का स्वभाव चंचल माना गया है। लक्ष्मीजी के ऐसे चित्र की पूजा करें, जिसमें मां के पैर नहीं दिखाई देते हों। पूजा के लिए लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर खरीदें, जिसमें वे कमल के आसन पर बैठी हों। आप चाहें तो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की तस्वीर की भी पूजा कर सकते हैं।
दीपावली पर खील-बताशे क्यों खाते हैं?
दीपावली पर देवी को खासतौर पर खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं। खील चावल का ही एक रूप है। यह चावल से बनती है और उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी है। दीपावली के पहले ही इसकी फसल तैयार होती है, इस वजह से लक्ष्मी को फसल के पहले भाग के रूप में खील और मीठे के रूप में बताशे चढ़ाए जाते हैं।
गन्ने और सिंघाड़े के साथ कौन-कौन सी चीजें देवी को चढ़ाएं?
दीपावली के आसपास ही गन्ने और सिंघाड़े आना शुरू हो जाते हैं। इसी वजह से दीपावली दोनों लक्ष्मी को खासतौर पर चढ़ाएं जाते हैं। गन्ना और सिंघाड़े के साथ ही मौसमी फल भी देवी को अर्पित करना चाहिए। पंचामृत चढ़ाएं। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री या शकर को मिलाकर बनाया जाता है। मिठाई का भोग लगाएं। इनके अलावा कमल का फूल भी अर्पित करें।
लक्ष्मीजी के साथ गणपति और सरस्वती का पूजन क्यों करते हैं?
दिवाली पर लक्ष्मीजी के साथ ही गणेशजी और सरस्वती की भी पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। धन के लिए लक्ष्मी, ज्ञान के लिए सरस्वती और बुद्धि के लिए गणेशजी का पूजन किया जाता है। हम कर्म करते हैं तो हमारे पास धन आता है तो उस धन को खर्च करने और निवेश करने के लिए हमें ज्ञान के साथ ही बुद्धि की भी जरूरत होती है। यही वजह है कि लक्ष्मीजी के साथ श्रीगणेश और सरस्वती की भी पूजा की जाती है।
इस फोटो में लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हैं, उसका क्या महत्व है?
महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की एक तस्वीर काफी प्रचलित है, जिसमें देवी भगवान के पैरों के पास बैठी हैं। इस फोटो में जीवन प्रबंधन के कई सूत्र छिपे हैं। दरअसल, विष्णुजी कर्म और पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। जब-जब अधर्म बढ़ता है तो वे ही धर्म की स्थापना करने के लिए अवतार लेते हैं। भगवान निर्मोही हैं, इन्हें किसी चीज का मोह नहीं है। विष्णुजी के अवतारों का संदेश यह है कि परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें धर्म का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए और धन से भी मोह नहीं रखना चाहिए।
धर्म के अनुसार कर्म करते रहने वाले लोगों के घर में ही लक्ष्मी वास करती हैं। कर्म किए बिना सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठे लोगों के यहां लक्ष्मी यानी धन नहीं टिकता है। इस फोटो एक संदेश ये भी है कि धन को अपने सिर पर हावी नहीं होने देना चाहिए। अगर पर दिमाग पर हावी हो जाता है तो व्यक्ति अहंकारी हो जाता है। ध्यान रखें धन से मोह न रखें। धन आता-जाता रहता है।
लक्ष्मीजी के हाथ में कमल का पुष्प क्यों रहता है और कमल पर ही क्यों विराजित रहती हैं?
देवी लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजित रहती हैं और देवी के हाथों में कमल का पुष्प रहता है। इसमें भी धन से जुड़ा महत्वपूर्ण जीवन प्रबंधन सूत्र छिपा है। हमारे आसपास अच्छे-बुरे हर तरह के लोग रहते हैं। सभी से हम जुड़े रहते हैं, लेकिन हमें बुरे लोगों के साथ रहते हुए भी अपने अच्छे गुणों को छोड़ना नहीं चाहिए और उनके बुरे गुणों को अपनाना नहीं चाहिए। ये बात कमल के फूल से समझ सकते हैं।
कमल का फूल कीचड़ में ही खिलता है, लेकिन फूल पर गंदगी का असर नहीं होता है। लक्ष्मी के पास कमल का फूल हमें ये संदेश देता है कि जो लोग बुरे हालातों में भी अच्छाई का साथ नहीं छोड़ते हैं, उन्हें लक्ष्मीजी की कृपा मिलती है। जब हमारे पास धन आता है, तब भी हमें कमल के फूल की तरह ही रहना चाहिए। धन आने पर लोग बहक जाते हैं, बुराइयों के रास्ते पर चल पड़ते हैं। जिससे उनका और उनके परिवार का नाश हो जाता है। इसीलिए धन आने पर भी बुराइयों से बचने वाले लोगों के पास ही लक्ष्मी टिकती हैं।
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