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इस बार मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा दो दिन रहेगी। मंगलवार, 29 दिसंबर को दत्त पूर्णिमा है और बुधवार, 30 दिसंबर को स्नान-दान की पूर्णिमा रहेगी। पुराने समय में इस पूर्णिमा पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार दत्त भगवान प्रकट हुए थे। अनसूइया उनकी माता और अत्रि ऋषि पिता थे। इस पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। इसके बाद 31 दिसंबर से पौष मास शुरू हो जाएगा।
पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अपनी शक्ति के अनुसार धन और अनाज का दान करें।
हर माह की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की भी परंपरा चली आ रही है। भगवान की कथा करें। केले और हलवे का भोग लगाएं। साथ ही, झूठ न बोलने का संकल्प लें। कभी भी भगवान के प्रसाद का अनादर करें।
इस तिथि पर शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। बिल्व पत्र और धतूरा चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं।
31 से पौष मास शुरू हो रहा है। इस मास में सूर्य भगवान की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे को लोटे जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
अभी ठंड के दिन चल रहे हैं। इस वजह से इन दिनों में खाने की गर्म चीजों का सेवन करें। तिल-गुड़ खाएं और रोज सुबह कुछ देर सूर्य की रोशनी में जरूर बैठें। तेल मालिश करें। इन बातों का ध्यान रखने से मौसमी बीमारियों से रक्षा हो सकती है।
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