आज से फाल्गुन महीना शुरू हो गया है। जो 7 मार्च तक रहेगा। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नए साल का पहला महीना चैत्र और आखिरी फाल्गुन होता है। इसे फागुन मास भी कहा जाता है। इसके बाद हिंदू नव वर्ष शुरू हो जाता है। फाल्गुन तीज-त्योहारों वाला महीना होता है। साथ ही इसमें मौसमी बदलाव भी होते हैं। वसंत ऋतु की शुरुआत इसी हिंदी महीने में होती है ।
शिवरात्रि और होली फाल्गुन में ही
फाल्गुन महीने के शुरुआती 13 दिन बाद शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। ये पर्व चौदहवीं तिथि यानी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाया जाता है। पुराणों के मुताबिक इस तिथि पर ही भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। ये पर्व इस बार 18 फरवरी को है।
फाल्गुन महीने के खत्म होने पर यानी आखिरी दिन होलिका दहन होता है जो कि 7 मार्च को है। इसके बाद रंगो का त्योहार मनाते हैं। जो 8 को मनेगा। वहीं इस बार ऐसा हो रहा है जब इस हिंदी महीने के खत्म होने के बाद वसंत ऋतु शुरू होगी। ये 14 मार्च से 15 मई तक रहेगी।
शास्त्रोक्त मान्यता है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को महर्षि अत्रि और देवी अनुसूया से चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण इस दिन चंद्रमा की विशेष आराधना कर चंद्रमा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की जाती है।
मौसम में अच्छे बदलाव
फाल्गुन महीने में ही पतझड़ आता है। इसके बाद वसंत आता है। वसंत ऋतु के आने से पहले ही फाल्गुन महीने के दौरान मौसम में सुखद और सकारात्मक बदलाव होने लगते हैं। जो मन को भाते हैं। आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि इस मौसम में ही शरीर में ताकत बढ़ती है। साथ ही शरीर के तीन दोष यानी वात, पित्त और कफ में बैलेंस बना रहता है। इसलिए फाल्गुन को सुखद महीना भी कहा जाता है।
भगवान विष्णु और श्री कृष्ण आराधना का महीना
इस हिंदी महीने में भगवान विष्णु की आराधना करने से उनकी कृपा मिलती है। साथ ही भगवान श्री कृष्ण की आराधना विभिन्न तरह के सुगंधित फूलों से करने का विधान बताया गया है। फाल्गुन में श्री कृष्ण की पूजा करने से समृद्धि और सुख बढ़ता है।
इस महीने में शंख में सुगंधित जल और दूध भरकर भगवान का अभिषेक करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस महीने भगवान श्री कृष्ण को माखन-मिश्री का नैवेद्य लगाने से आरोग्य और समृद्धि मिलती है।
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