आज माघ मास की गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और देवी साधना का ये पर्व 30 जनवरी तक रहेगा। साल में दो बार गुप्त और दो बार प्रकट नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि देवी की दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। महाविद्याओं की साधना के नियम बहुत कठिन हैं, इन साधनाओं में किसी भी तरह की कोई गलती नहीं होनी चाहिए। इसलिए गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधनाएं किसी विशेषज्ञ ब्राह्मण के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, दस महाविद्याएं देवी सती के क्रोध से प्रकट हुई थीं। सती माता प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। दक्ष शिव जी को पसंद नहीं करते थे। दक्ष एक यज्ञ कर रहे थे, उन्होंने यज्ञ में शिव जी को छोड़कर सभी देवी-देवताओं, ऋषि मुनियों को बुलाया था।
देवी सती मालूम हुआ कि उनके पिता यज्ञ कर रहे हैं तो उन्होंने भी पिता के यहां जाने की तैयारी कर ली। सती ने शिव जी से कहा कि वे अपने पिता के यहां यज्ञ में जाना चाहती हैं।
शिव जी ने सती माता से कहा कि हमें यज्ञ में बुलाया नहीं गया है। इसलिए हमें वहां नहीं जाना चाहिए।
देवी सती बोलीं कि पिता के यहां जाने के लिए किसी भी आमंत्रण की जरूरत ही नहीं है। शिव जी ने बहुत समझाया, लेकिन सती पिता के यहां जाने की जिद कर रही थीं। शिव जी देवी सती को रोक रहे थे, इससे देवी क्रोधित हो गईं और भयंकर रूप धारण कर लिया।
शिव जी देवी को क्रोधित देखकर वहां से जाने लगे तो दसों दिशाओं से माता सती के दस अलग-अलग रूप प्रकट हो गए। इन दस रूपों को ही दस महाविद्या कहा जाता है।
शिव जी के मना करने के बाद भी देवी सती अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ में शामिल होने के लिए पहुंच गई। यज्ञ में प्रजापति दक्ष ने सती के सामने ही शिव जी का अपमान करना शुरू कर दिया। देवी सती ये सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ कुंड में कूदकर देह त्याग दी थी।
ये हैं दस महाविद्याओं के नाम
काली, तारा, त्रिपुरासुंदरी (षोडशी), भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुराभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।
सती के बाद देवी शक्ति ने पार्वती के रूप में हिमालय राज के यहां जन्म लिया था। इसके बाद शिव जी और देवी पार्वती का विवाह हुआ।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.