योगिनी एकादशी व्रत 24 जून, शुक्रवार को होगा। पद्म पुराण के मुताबिक इस दिन व्रत या उपवास करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही कई यज्ञों को करने का फल भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार अगर एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं तो भी इस तिथि पर चावल नहीं खाने चाहिए।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि इस व्रत में एक समय फलाहार कर सकते हैं। एकादशी तिथि पर व्रत या उपवास न भी कर सकें तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी जरूर चढ़ाएं। ग्रंथों में लिखा है कि भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से भी पूरे व्रत का पुण्य मिल जाता है।
जरूरतमंदों को करें दान
इस दिन नहाकर साफ कपड़े पहनें। फिर भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से नहलाकर, चंदन, रोली, धूप, दीप, पुष्प से पूजन और आरती करें। पूजन के बाद जरूरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। अगले दिन सूर्योदय के समय ईष्ट देव को भोग लगाकर, दीप जलाकर और प्रसाद का वितरण कर व्रत खोलें। मान्यता हैं कि ये व्रत करना 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।
मन को रखें स्थिर और शांत
एकादशी का व्रत रखने वाले उपासक को अपना मन स्थिर एवं शांत रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लाएं। दूसरों की निंदा न करें। इस एकादशी पर श्री लक्ष्मी नारायण का पवित्र भाव से पूजन करना चाहिए। भूखे को अन्न तथा प्यासे को जल पिलाना चाहिए। एकादशी पर रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है।
एक दिन पहले से ही शुरू हो जाता है व्रत
1. उत्पन्ना एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को शाम के भोजन के बाद अच्छी तरह दातुन करें ताकि अन्न का अंश मुंह में न रह जाएं। इसके बाद कुछ भी नहीं खाएं, न अधिक बोलें।
2. एकादशी की सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें। धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की पूजा करें और रात को दीपदान करें। रात में सोएं नहीं। इस व्रत में रातभर भजन-कीर्तन करने का विधान है।
3. इस व्रत के दौरान जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनके लिए माफी मांगनी चाहिए। अगले दिन सुबह फिर से भगवान की पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देने के बाद ही खुद खाना खाएं।
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