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जनवरी के आखिरी हफ्ते में 4 दिन व्रत-उपवास और स्नान-दान किए जाएंगे। 24 जनवरी से 31 जनवरी तक कई व्रत, उपवास, धर्म कर्म और तीज त्यौहार आएंगे। 24 जनवरी, रविवार को संतान पाने बच्चे की लंबी उम्र की कामना से पुत्रदा एकादशी का व्रत करेंगी। 26 जनवरी, मंगलवार भगवान शिव की आराधना के लिए खास है। इस दिन भौम प्रदोष का संयोग बन रहा है।
28 जनवरी गुरुवार को पौष महीने की पूर्णिमा रहेगी। इस पर्व पर स्नान और दान करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। वहीं, अखंड सौभाग्य की कामना के साथ रविवार, 31 जनवरी को तिलकुटा चौथ यानी तिल चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इसे सकट चौथ भी कहा जाता है। हालांकि पंचांग भेद होने के कारण देश में कुछ जगहों पर 1 फरवरी को भी ये व्रत किया जाएगा।
24 जनवरी, पुत्रदा एकादशी
संतान की इच्छा से ये व्रत किया जाता है। इसलिए ग्रंथों में इसे पुत्रदा एकादशी कहा गया है। ये व्रत सबसे उत्तम माना गया है। इस महीने ये व्रत पौष महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी पर किया जाएगा। जो कि 24 जनवरी, रविवार को है। इस दिन व्रत करने से जिन लोगों को संतान नहीं है उनकी ये मनोकामना पूरी होती है। ये एकादशी व्रत सावन महीने में भी किया जाता है। इस तरह ये साल में 2 बार किया जाने वाला व्रत है। इस दिन जो लोग व्रत नहीं रखते, उन्हें भी चावल नहीं खाने चाहिए।
26 जनवरी, भौम प्रदोष
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत महीने में 2 बार यानी शुक्ल और कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर करने का विधान है। इस व्रत को करने से सौ गाय दान देने के बराबर फल मिलता है। इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मंगलवार को प्रदोष व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती है।
28 जनवरी, पौष पूर्णिमा: माघ स्नान शुरू, गुरु पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि योग
28 जनवरी गुरुवार को पौष महीने की पूर्णिमा है। इस दिन पौष का महीना खत्म हो जाएगा। साथ ही पुष्य नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि योग भी दिनभर रहेगा। ये पर्व स्नान और दान के लिए सबसे अच्छा दिन कहा गया है। पौष महीने की पूर्णिमा से ही माघ महीने का स्नान व्रत शुरू हो जाता है। माघ में संगम के तट पर लोग रहकर स्नान और दान करते हैं।
इस बार कोरोना महामारी के चलते घर रहकर ही रोज पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। माघ महीने के दौरान रोज भगवान विष्णु की पूजा और दर्शन् करना चाहिए। पुराणों का कहना है कि, माघ महीने में तीर्थ के जल से नहाने से अक्षय फल मिलता है। दरअसल, पौष महीने की पूर्णिमा पर ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति रहती है। इस दिन चंद्रमा भी अपनी 16 कलाओं के साथ अमृत बरसाता है। जिससे तीर्थ स्नान करने वालों की सेहत अच्छी रहती है।
31 जनवरी, संकष्ट चतुर्थी
माघ महीने के कृष्णपक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को संकटा चौथ या तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 31 जनवरी, रविवार को पड़ रही है। पुराणों का कहना है कि इस दिन पानी में तिल डालकर नहाने से पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश को तिल के लड्डू का भोग लगाने की परंपरा है। अखंड सौभाग्य पाने के लिए महिलाएं इस व्रत में शाम को चंद्रमा के दर्शन कर के और अर्घ्य देकर रात में व्रत खोलती है। इस व्रत से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।
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