बुधवार, 1 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे जया और अजा एकादशी कहते हैं। पंचांग भेद की वजह से कुछ जगहों पर 31 जनवरी को ये व्रत किया जाएगा। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए विशेष पूजा और व्रत-उपवास करने की परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, बुधवार और एकादशी के योग में विष्णु जी और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। इनके साथ ही गणेश पूजा भी जरूर करें। बुध ग्रह के लिए हरे मूंग का दान करें। एक हिन्दी माह में दो पक्ष होते हैं, इस तरह एक माह में दो एकादशियां होती हैं। 12 माह में कुल 24 और जिस वर्ष में अधिकमास होता है, तब 26 एकादशियां आती हैं।
स्कंद पुराण के वैष्णवण खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में एकादशियों का महत्व बताया गया है। जो भक्त एकादशी पर व्रत करते हैं, विष्णु पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं भगवान विष्णु की कृपा से पूरी हो जाती हैं। इस दिन व्रत किया जाता है और पूजा के बाद दान करना चाहिए।
विष्णु जी और महालक्ष्मी का करें अभिषेक
एकादशी पर भगवान विष्णु का और महालक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को अर्पित करें। दूध के बाद जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें।
पूजन में फल-फूल, गंगाजल, धूप दीप और प्रसाद आदि अर्पित करें। आरती करें।
जो लोग इस दिन व्रत करते हैं, उन्हें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। रात में भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें। अगले दिन यानी द्वादशी पर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस व्रत में गर्म वस्त्रों का दान करना बड़ा ज्यादा शुभ माना जाता है।
गणेश जी को चढ़ाएं दूर्वा की 21 गांठ
गणेशजी को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाएं और श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। गणेश जी की पूजा गजानंद के रूप में की जाती है। इसलिए किसी हाथी को गन्ना खिलाएं। गणेश जी के साथ ही रिद्धि-सिद्धि की पूजा करें। गणेश जी के मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: का जप करें। जरूरतमंद लोगों को भोजन करें।
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