भक्ति का पर्व:ज्येष्ठ पूर्णिमा और मंगलवार का योग 14 जून को; नदी स्नान, दान-पुण्य के साथ करें हनुमान जी की भी पूजा

एक वर्ष पहले
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मंगलवार, 14 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। हिन्दी पंचांग में पूर्णिमा महीने की अंतिम तिथि होती है। 15 जून से आषाढ़ माह शुरू हो जाएगा। मंगलवार और पूर्णिमा के योग में स्नान, दान-पुण्य के साथ ही हनुमान जी की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस तिथि पर तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। किसी पौराणिक महत्व वाले मंदिर में दर्शन और पूजन करना चाहिए। पूर्णिमा पर अगर किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर सभी पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान कर सकते हैं।

स्नान करते समय समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र - ऊँ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिं कुरु।।

इस तरह घर पर स्नान करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। लोटे में जल के साथ फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए। इसके बाद सूर्य को जल अर्पित करें। ध्यान रखें लोटे से गिरती हुई जल धारा से सूर्य का दर्शन करना चाहिए। साथ ही, ये भी ध्यान रखें कि अर्घ्य चढ़ाने के बाद जमीन पर गिरे जल पर किसी के पैर न लगे।

घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। इसके बाद बाल गोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। इसके लिए शंख में दूध भरें और भगवान को चढ़ाएं। स्वच्छ जल से भगवान का अभिषेक करें। भगवान का श्रृंगार करें। फूल, वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें।

पूर्णिमा और मंगलवार के योग में करें हनुमान जी की पूजा

मंगलवार को पूर्णिमा होने से इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का विशेष योग बन रहा है। हनुमान जी की प्रतिमा को सरसों के तेल और सिंदूर से चोला चढ़ाएं। श्रृंगार करें। हार-फूल अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं। मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। पूजा के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद दें और खुद भी लें।

पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी

इस दिन शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतुरा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, चंदन आदि चीजें चढ़ाकर पूजा करें। धूप-दीप जलाएं, भोग लगाएं।

किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।

जरूरतमंद लोगों को वस्त्र, जूते-चप्पल और छाते का दान करें।