इस हफ्ते 15 मार्च को सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ खरमास शुरू हो गया है। जो कि अगले महीने 14 अप्रैल तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक काम नहीं होंगे। लेकिन पूजा-पाठ और व्रत-पर्व मनाए जाएंगे।
अगले हफ्ते 21 मार्च को अमावस्या है। इस दिन मंगलवार होने से भौमावस्या का शुभ संयोग बनेगा। ये दिन स्नान-दान करने के लिए महापर्व रहेगा। बुधवार को नव संवत्सर और चैत्र मास शुरू होंगे। महीने के आखिरी रामनवमी महापर्व भी रहेगा। वहीं, अप्रैल में चैत्र मास के आखिरी दिन हनुमान जयंती मनाई जाएगी।
21 मार्च, मंगलवार को अमावस्या होने से भौमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन और कपड़ों का दान करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। जानकारों के मुताबिक, भौमावस्या पर किया गया दान कई गुना पुण्य फल देने वाला होता है।
इस दिन पितरों की पूजा भी खासतौर से की जाती है। अमावस्या पर श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए इस तिथि को पितृ पर्व भी कहा जाता है।
खरमास के चलते मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। लेकिन खरीदारी की जा सकेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि जब सूर्य मीन राशि में होता है तब शुभ काम नहीं होते लेकिन इस दौरान हर तरह की खरीदारी की जा सकती है।
ज्योतिष विज्ञान के मुहूर्त ग्रंथों में पूरे साल खरीदारी के मुहूर्त बताए गए हैं। खरमास के दौरान 31 मार्च को पुष्य नक्षत्र योग में खरीदारी का विशेष मुहूर्त रहेगा।
चैत्र नवरात्र में खरीदारी के मुहूर्त
इस साल खरमास के दौरान ही चैत्र नवरात्रि रहेगी। इन दिनों में मांगलिक काम तो नहीं किए जा सकेंगे, लेकिन ही तरह की खरीदारी कर सकते हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि चैत्र नवरात्र के चलते शुभ मुहूर्त में होने वाली खरीदारी का फायदा लंबे समय तक मिलता है।
इस बार नवरात्रि में खरीदारी के लिए हर दिन शुभ रहेगा। शक्ति आराधना के पर्व में सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, द्विपुष्कर और रवियोग बनेंगे। इनमें की गई खरीदारी लंबे समय तक फायदा देने वाली रहेगी।
खरमास में पूजा और स्नान-दान का महत्व
खरमास में भगवान की आराधना का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के मुताबिक, इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नहाने और उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा है। इस महीने भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
इस महीने तीर्थों, घरों और मंदिरों में भगवान की कथा करनी चाहिए। भगवान की विशेष पूजा होनी चाहिए। साथ ही व्रत-नियम पालन करते हुए दान, पुण्य और भगवान की पूजा करना चाहिए।
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