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कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी का व्रत किया जाता है। दीपावली के चार दिन पहले आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी के रमा रूप की पूजा की जाती है। इसलिए इसे रमा एकादशी कहा जाता है। पद्म पुराण में इस व्रत का महत्व बताया गया है। कई जगहों पर इस दिन से ही लक्ष्मी पूजा की शुरुआत हो जाती है और दीपावली पर महापूजा की जाती है। इस एकादशी व्रत से ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी दूर हो जाते हैं। इस बार ये एकादशी 11 नवंबर, बुधवार को है। इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह व्रत सुख और सौभाग्य देने वाला माना गया है।
व्रत और पूजा की विधि
व्रत की कथा श्री पद्म पुराण के अनुसार
इस एकादशी का महत्व
पुराणों के मुताबिक रमा एकादशी व्रत से कामधेनु और चिंतामणि के समान फल मिलता है। इस व्रत को करने से समृद्धि और संपन्नता बढ़ती है। इस व्रत से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं। पद्म पुराण का कहना है कि रमा एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है। जिसके प्रभाव से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। मृत्यु के बाद विष्णु लोक मिलता है।
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