गुरुवार को राम जी का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। श्रीराम के जीवन की कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। इन घटनाओं के संदेशों को जीवन में उतार लिया जाए तो कई परेशानियां खत्म हो सकती हैं। जानिए एक ऐसी घटना, जिसमें श्रीराम ने संदेश दिया है कि हमें अपने साथियों के गुणों को पहचानना चाहिए और उन्हें प्रेरित करना चाहिए।
हनुमान जी ने श्रीराम को बताया कि देवी सीता समुद्र पार लंका में कैद हैं। इसके बार श्रीराम वानर सेना के साथ दक्षिण दिशा में समुद्र किनारे पहुंच गए। पूरी वानर सेना के साथ समुद्र पार करना बहुत मुश्किल काम था।
श्रीराम ने समुद्र देवता से प्रार्थना की कि उन्हें वानर सेना के समुद्र पार करने के लिए रास्ता दिया जाए। समुद्र देव ने श्रीराम से कहा कि आपकी सेना में नल-नील दो भाई हैं। वे विश्वकर्मा के पुत्र हैं। इन्हें ऋषियों ने शाप दिया था कि ये जो चीजें पानी में फेंकेंगे, वह डूबेगी नहीं। आप इनकी मदद से समुद्र पर सेतु बांध सकते हैं। सेतु की मदद से पूरी सेना आसानी से लंका पहुंच जाएगी।
समुद्र देव की सलाह के बाद श्रीराम ने नल-नील को समुद्र पर सेतु बांधने की जिम्मेदारी सौंप दी। सभी वानरों के सहयोग से नल-नील ने समुद्र पर पत्थरों से सेतु बनाना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद सभी वानरों के साथ श्रीराम लंका पहुंच गए।
जब श्रीराम वानर सेना के साथ लंका पहुंचे तो उन्होंने हनुमान जी को नहीं अंगद को दूत बनाकर रावण की सभा में भेजा। अंगद को लंका के दरबार में दूत बनाकर भेजने से रावण को समझ आ गया था कि श्रीराम की सेना में हनुमान ही नहीं, बल्कि अंगद जैसे भी और भी शक्तिशाली वानर हैं।
लंका आने पहले अंगद का आत्मविश्वास कमजोर था, क्योंकि अंगद ने सीता की खोज में लंका आने से मना कर दिया था। इसके बाद हनुमान जी ने लंका पहुंचकर सीता की खोज की थी। राम जी ने अंगद को रावण के दरबार में दूत बनाकर भेजा, उसे प्रेरित किया, जिससे उसका आत्मविश्वास भी जाग गया।
श्रीराम की सीख
इस किस्से में श्रीराम ने नल-नील और अंगद पर अपना भरोसा दिखाया है। श्रीराम संदेश दे रहे हैं कि हमें अपने साथियों के गुणों और कमजोरियों के बारे में मालूम होना चाहिए। अगर किसी का आत्मविश्वास कमजोर हो रहा हो तो उसका मनोबल बढ़ाना चाहिए, उसे प्रेरित करना चाहिए। तभी बड़े-बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
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