श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता की सीख:दोस्त एक भरोसा और एक सहारा होता है, बुरे समय में सच्चा मित्र ही साथ देता है और मुसीबतों से बचाता है

2 महीने पहले
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30 मार्च को भगवान श्रीराम का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। श्रीराम से जुड़े प्रसंगों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। अगर इन सूत्रों को समझ लिया जाए और इनके अनुसार काम किए जाए तो हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। जानिए श्रीराम और सुग्रीव से जुड़ा प्रसंग, जिसमें मित्रता से जुड़े संदेश बताए गए हैं...

श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास के लिए निकल गए थे। ये तीनों पंचवटी में रह रहे थे। उस समय रावण ने छल से सीता का हरण कर लिया। श्रीराम और लक्ष्मण देवी सीता की खोज कर रहे थे, तब इनकी भेंट हनुमान जी से हुई।

हनुमान जी ने श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता कराई। श्रीराम और सुग्रीव की पहली मुलाकात थी। श्रीराम ने सुग्रीव से पूछा कि आप यहां जंगल में क्यों रह रहे हैं? मैं तो मेरी पत्नी सीता को खोज में जंगल-जंगल भटक रहा हूं, लेकिन लेकिन आप तो राजा हैं, आपको को अपने राज्य में रहना चाहिए।

सुग्रीव ने श्रीराम से कहा कि मेरा बड़ा भाई बालि ही मेरा शत्रु हो गया है। वह बहुत शक्तिशाली है और उसकी वजह से ही मैं जंगल में छिपकर रह रहा हूं। दरअसल, एक बार एक राक्षस हमारे गांव आया था। बालि उसे मारने गया तो मैं भी पीछे-पीछे चला गया। राक्षस एक गुफा में चला गया तो बालि भी गुफा में चला गया। मैं गुफा के बाहर ही रुक गया। एक दिन गुफा से बाहर रक्त बहकर आने लगा, मैं डर गया और मुझे लगा कि मेरा भाई बालि मारा गया है। मैं अपने राज्य लौट आया तो यहां के लोगों ने मुझे राजा बना दिया। कुछ समय बाद मेरा भाई बालि राज्य में लौट आया। बालि ने मुझे राजा बना देखा तो वह मुझे ही शत्रु समझने लगा और अब वह मुझे मारना चाहता है।

श्रीराम ने सुग्रीव की बातें सुनीं और कहा कि मैं आपकी बालि से रक्षा करूंगा।

पहले तो सुग्रीव को श्रीराम की शक्तियों पर भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि बालि तो बहुत शक्तिशाली था। राम समझ गए कि सुग्रीव को मेरी शक्तियों पर भरोसा नहीं हो रहा है।

श्रीराम ने सुग्रीव से कहा कि सुग्रीव, अब मैं तुम्हारा मित्र हूं। विपत्ति के समय मित्र ही साथ खड़ा रहता है, मित्र ही मदद करता है।

मित्र शब्द सुनते ही सुग्रीव को श्रीराम की बातों भरोसा हो गया। श्रीराम ने बालि को मारने की योजना बनाई। योजना के अनुसार सुग्रीव ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा। जब दोनों भाई को युद्ध हो रहा था, तब श्रीराम ने बालि को बाण से मार दिया था।

श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता की सीख

इस प्रसंग में श्रीराम ने सुग्रीव को संदेश दिया है कि मित्र ही दूसरे मित्र की रक्षा करता है। सच्चे मित्र हमेशा साथ खड़े रहते हैं और बुरे समय में मदद करते हैं। इसलिए किसी को मित्र बनाते समय व्यक्ति के गुणों को परखना चाहिए। ऐसे लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए, जो हमारे सामने तो अच्छा बोलते हैं और पीठ पीछे हमारे काम बिगाड़ने की कोशिश करते हैं।