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अधिकतर लोग दुख के समय में धैर्य खो देते हैं और स्वभाव में भी क्रोध बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये हम महाभारत से सीख सकते हैं।
महाभारत युद्ध में पितामह भीष्म बाणों की शय्या पर थे। रोज युद्ध के बाद सभी पांडव पितामह से मिलने पहुंचे थे। एक दिन युधिष्ठिर ने भीष्म से कहा कि पितामह, 'आप हमें जीवन के लिए उपयोगी ऐसी शिक्षा दें, जो हमेशा हमारे काम आ सके। कैसे हमारा जीवन सुखी रह सकता है?'
भीष्म ने कहा कि जब नदी का बहाव तेज होता है तो वह अपने साथ बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़कर बहा ले जाती है। लेकिन, छोटी-छोटी घास इस बहाव में बहने से बच जाती है। नदी का प्रवाह इतना तेज होता है कि बड़े शक्तिशाली पेड़ भी उसके सामने टिक नहीं पात हैं। घास अपनी कोमलता की वजह से बच जाती है।
इस बात में ही सुखी जीवन का महत्वपूर्ण सूत्र छिपा है। जो लोग हमेशा विनम्र रहते हैं, वे बुरे से बुरे समय में भी सुरक्षित रह सकते हैं। जबकि जो लोग झुकते नहीं हैं, वे शक्तिशाली पेड़ों की तरह बुरे समय के बहाव में बह जाते हैं।
हमें भी हमेशा विनम्र रहना चाहिए, तभी हमारा अस्तित्व बना रहता है। यही सुखी जीवन का मूल मंत्र है। जो लोग विपरीत समय में भी झुकते नहीं हैं, उन्हें और ज्यादा दुखों का सामना करना पड़ता है। विनम्रता के साथ ही धैर्य बनाए रखेंगे बहुत जल्दी हालात बदल सकते हैं।
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