आज माघ मास का आखिरी दिन है। इसे माघी पूर्णिमा कहते हैं। तिथि वार और नक्षत्रों से मिलकर आज शुभ संयोग बन रहा है। इस पर्व पर सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों और तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य, फिर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। पूजा-पाठ के साथ दिनभर व्रत और जरुरतमंद लोगों को दान दिया जाता है।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि माघ महीने की पूर्णिमा पर सफेद और गरम कपड़े, तिल, घी, नमक, गुड़, भोजन, कपास और चांदी का दान करना चाहिए। दिनभर व्रत रखते हुए सिर्फ फल खाएं और दूध पी सकते हैं। इस दिन सफेद कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करनी चाहिए।
रविवार के शुभ संयोग में सूर्य पूजा
आज माघ महीने का आखिरी रविवार है। इस महीने सहस्त्रांशु रूप में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। पूर्णिमा और रविवार के शुभ संयोग में उगते हुए सूर्य को तांबे के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते हुए ऊँ घृणि सूर्य आदित्याय नम: मंत्र बोलना चाहिए। इस पर्व पर पानी में लाल चंदन, लाल फूल और तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देने का विधान पुराणों में बताया गया है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने सेहतमंद रहते हैं और उम्र भी बढ़ती है।
सत्यनारायण भगवान की पूजा करें
पूर्णिमा पर सुबह पानी में तिल डालकर नहाएं। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर तुलसी और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। पीपल की पूजा करें। घी का दीपक लगाकर परिक्रमा करें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घर पर पूजा न कर पाएं तो मंदिर जाकर दर्शन ही कर सकते हैं। इस पर्व पर किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर सत्यनारायण कथा करवाएं। ब्राह्मण भोजन करवाएं और जरुरतमंद लोगों को दान दें।
पितरों के लिए श्राद्ध करें
माघ महीने की पूर्णिमा पर पितरों के लिए श्राद्ध करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। पानी में दूध, गंगाजल और तिल मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए। दोपहर में जौ, तिल और चावल से पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। इसके बाद गाय, कुत्ते और कौवे के लिए खाना निकालें। फिर ब्राह्मण भोजन करवाएं। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। पितरों के लिए जल, अन्न, भूमि, कपड़े और भोजन का दान करने का विधान है।
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