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5 फरवरी को खत्म होगा माघ मास:रविवार को माघी पूर्णिमा और रविदास जयंती, इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद दान-पुण्य करने की है परंपरा

2 महीने पहले
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रविवार, 5 फरवरी को माघ मास खत्म हो रहा है। इसके बाद 6 तारीख से फाल्गुन शुरू होगा। रविवार को माघी पूर्णिमा और संत रविदास जयंती है। इस उत्सव पर पवित्र नदी में स्नान के बाद दान-पुण्य करने की परंपरा है। पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का अभिषेक भी करना चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। मान्यता है कि इस मास में किए गए तीर्थ दर्शन और नदी स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है, जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का असर खत्म होता है। भक्ति में मन लगा रहता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

धार्मिक मान्यता की वजह से काफी भक्त रोज नदी में स्नान करते हैं, खासतौर प्रयागराज में नदियों के संगम पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। माघी पूर्णिमा पर माघ स्नान खत्म हो जाएंगे। इस महीने में किसी नदी में स्नान नहीं कर पाए हैं तो पूर्णिमा पर अपने क्षेत्र की नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। स्नान के बाद नदी के किनारे पर ही जरूरतमंद लोगों को अनाज और धन का दान करें।

नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही करें ऐसे स्नान

जो लोग तीर्थ क्षेत्र नहीं जा पा रहे हैं, किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल, काले तिल, चंदन मिलाकर स्नान करना चाहिए। ध्यान करते समय सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए।

माघी पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम

माघ पूर्णिमा पर पूरे परिवार के साथ विष्णु पूजा करने से कुंडली के दोषों का असर कम होता है। विष्णु जी की कृपा से कार्यों में आ रही बाधाएं खत्म होती हैं, सफलता मिलती है और घर-परिवार में प्रेम बना रहता है।

पूर्णिमा पर पवित्र ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। जैसे श्रीरामचरित मानस, श्रीमद् भागवत कथा, विष्णु पुराण, शिव पुराण आदि। ग्रंथों के पाठ के साथ ही अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप भी करना चाहिए।

विष्णु पूजा में तिल से बनी मिठाई का भोग जरूर लगाएं। जरूरतमंद लोगों को तिल का दान भी करें।

इस दिन हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। आप चाहें तो ऊँ श्रीरामदूताय नम: मंत्र का जप भी कर सकते हैं। मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। पूर्णिमा पर शिव का जलाभिषेक करें। तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए पतली धार से शिवलिंग पर चढ़ाएं। शिव पूजा करें।