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व्रत-उपवास:26 जुलाई को मंगला गौरी व्रत, इस दिन पति-पत्नी को एक साथ करनी चाहिए भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा

10 महीने पहले
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सावन का मंगलवार शिव-पार्वती की पूजा का विशेष होता है। इस महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। वैसे तो ये व्रत खासतौर पर महिलाएं करती हैं, लेकिन पति और पत्नी दोनों एक साथ इस दिन व्रत-उपवास और पूजा करते हैं तो वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से महिलाओं को देवी पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान देती हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक जो लोग मंगला गौरी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें स्नान के बाद शिव जी और देवी पार्वती के सामने व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। गणेश पूजन के बाद शिव जी और देवी पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत और फिर जल चढ़ाएं। देवी मां की प्रतिमा का भी इन चीजों से अभिषेक करें। बिल्व पत्र, दूर्वा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, चंदन आदि चीजें शिव जी को चढ़ाएं। देवी मां को लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम, चूड़ियां आदि चीजें चढ़ाएं।

दोनों देवी-देवता को दूध से बनी मिठाई, मौसमी फल, पान, सुपारी अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें। इसके बाद आरती करें। भगवान से भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें। अंत में प्रसाद खुद भी लें और दूसरों को भी बांटें।

ये है मंगला गौरी व्रत की संक्षिप्त कथा

पुराने समय में धर्मपाल नाम का एक सेठ था। वह अपने जीवन में बहुत सुखी था, उसकी पत्नी भी धार्मिक स्वभाव वाली थी, लेकिन इनका एक दुख था, इनकी कोई संतान नहीं थी। दोनों पति-पत्नी भगवान की पूजा रोज करते थे। पूजा के प्रभाव से भगवान की कृपा हुई और इनके यहां एक पुत्र का जन्म हुआ। इस बच्चे को एक शाप मिला था कि अल्पायु में ही एक सांप इसे डंस लेगा। जब ये लड़का बड़ा हुआ तो इसका विवाह ऐसी लड़की से हुआ जो मंगला गौरी व्रत करती थी। इस व्रत के प्रभाव से लड़की के पति को शाप से मुक्ति मिल गई और धर्मपाल सेठ का लड़का मंगला गौरी व्रत के असर से लंबी उम्र तक जीवित रहा।

मंगलवार को कर सकते हैं ये शुभ काम भी

मंगलवार को मंगल ग्रह के लिए लाल मसूर की दाल का दान जरूरतमंद लोगों को करें। शिवलिंग पर लाल गुलाल, लाल फूल चढ़ाएं और ऊँ भौं भौमाय नम: मंत्र का जप करें। गौशाला में धन और अनाज का दान करें।