गुरुवार, 12 मई को वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। गर्मी के समय ये एकादशी आने से इस दिन व्रत-उपवास के साथ ही जल का दान जरूर करना चाहिए। इस बार ये तिथि गुरुवार को होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। गुरुवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से इस दिन मातंग नाम का शुभ योग बन रहा है। इस योग में किए गए पूजा-पाठ जल्दी सफल हो सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक गुरुवार और एकादशी के योग में विष्णु-लक्ष्मी के साथ ही देवगुरु बृहस्पति यानी गुरु ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। गुरुवार को शिवलिंग पर चंदन मिश्रित जल चढ़ाएं। पीले फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, जनेऊ अर्पित करें। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
गुरु ग्रह के लिए चने की दाल भी शिवलिंग पर चढ़ानी चाहिए। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम से 108 बार करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें। जरूरतमंद लोगों को पीले वस्त्र और चने की दाल का दान करें। एकादशी और गुरुवार के योग में की गई गुरु ग्रह की पूजा से वैवाहिक जीवन से जुड़ी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। साथ ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
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