हमें जब भी अच्छे काम करने का या अच्छे कामों में मदद करने का अवसर मिले तो पीछे नहीं हटना चाहिए। अच्छे कामों का देर से ही सही, लेकिन इसका शुभ फल जरूर मिलता है। ये बात समुद्र मंथन के एक किस्से से समझ सकते हैं...
देवताओं और असुरों में युद्ध चल रहा था। उस समय देवता असुरों से जीत नहीं पा रहे थे। देवताओं की समस्या समझकर भगवान विष्णु ने उन्हें समुद्र मंथन करने की सलाह दी। विष्णु जी ने उनसे कहा था कि आप समुद्र मंथन करें और उसमें औषधियां डालें, ऐसा करने से समुद्र से अमृत निकलेगा। अमृत पी लेंगे तो देवता अमर हो जाएंगे और युद्ध जीत जाएंगे।
समुद्र मंथन की तैयारियां शुरू हो गईं। देवताओं के साथ असुर भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। मंदराचल पर्वत की मथनी बनाई गई। इसके बाद सभी विचार करने लगे कि मंथन के लिए रस्सी किसे बनाया जाए। ऐसी रस्सी कहीं मिल नहीं रही थी, जिससे मंदराचल पर्वत को घुमाया जा सके।
तब देवताओं ने वासुकि नाग से कहा कि इस समुद्र मंथन में मदद करें और रस्सी बन जाइए। वासुकि नाग ने देवताओं की बात मान ली। इसके बाद वासुकि नाग को मंदराचल पर्वत पर लपेटा गया। वासुकि की मदद से समुद्र मंथन हुआ और कई रत्नों के साथ अमृत भी निकला।
सभी देवताओं वासुकि को धन्यवाद कहा और उन्हें लेकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। देवताओं ने ब्रह्मा जी से कहा कि इन्होंने समुद्र मंथन में हमारी बहुत मदद की है। इनकी एक समस्या है। इनकी मां ने इन्हें एक शाप दिया था। ये शाप इन्हें दुख दे रहा है। आप इस शाप को खत्म कर दें, क्योंकि वासुकि नाग ने मंथन में रस्सी बनकर सृष्टि की भलाई का काम किया है।
ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं जानता हूं कि वासुकि बहुत दुखी हैं। इन्होंने अच्छा काम किया है तो मैं आशीर्वाद देता हूं कि भविष्य में इनका भला जरूर होगा। जरत्कारु नाम के एक ब्राह्मण हैं जो तपस्या कर रहे हैं। जरत्कारु नाम की वासुकि की एक बहन भी हैं। इन दोनों का विवाह होगा और वासुकि की सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। मैं इन्हें शांति का वरदान देता हूं।
ब्रह्मा जी वरदान से जल्दी ही वासुकि की सभी समस्याएं खत्म हो गईं और उनका मन शांत हो गया।
किस्से की सीख
इस किस्से का संदेश ये है कि हमें जब भी मौका मिले, अच्छे काम करते रहना चाहिए। अच्छे कामों मदद करने से हमें शांति मिलती है। देर से ही सही, लेकिन भविष्य में हमारा भी भला जरूर होता है।
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