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वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी को आपसी तालमेल बनाए रखना चाहिए। छोटी सी लापरवाही भी रिश्ते में तनाव बढ़ा सकती है। इस रिश्ते में सम्मान और विश्वास बनाए रखना चाहिए। सुखी वैवाहिक जीवन में किन बातों का ध्यान रखें, ये बात ययाति और देवयानी की कथा से समझ सकते हैं।
श्रीमद्भागवत में राजा ययाति की कथा बताई गई है। महाभारत काल में राजा ययाति का विवाह दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से हुआ था। विवाह के बाद एक शर्त के तहत दैत्यों की राजकुमारी शर्मिष्ठा भी देवयानी के साथ दासी के रूप में ययाति के यहां आई थी। शुक्राचार्य ने ययाति से वचन लिया था कि वो कभी भी देवयानी के अलावा किसी और स्त्री से संबंध नहीं रखेगा। ययाति ने भी शुक्राचार्य को इस बात का वचन दिया था।
विवाह के कुछ समय बाद देवयानी गर्भवती हो गई। जब ये बात शर्मिष्ठा को मालूम हुई तो वह देवयानी से ईर्ष्या करने लगी। शर्मिष्ठा राजकुमारी थी, लेकिन एक दासी का जीवन व्यतीत कर रही थी। शर्मिष्ठा राजा ययाति के महल के पीछे कुटिया में रहती थी। उसने सोचा कि वह राजा ययाति को अपने सुंदर रूप से आकर्षित करके खुद भी जीवन के सभी सुख प्राप्त करेगी। अपनी योजना के अनुसार शर्मिष्ठा ने ययाति आकर्षित कर लिया। ययाति शुक्राचार्य को दिया हुआ वचन भूल चुके थे और उन्होंने शर्मिष्ठा से संबंध बना लिए।
कुछ समय बाद देवयानी को ये बात पता चली तो वह अपने पिता शुक्राचार्य के पास आ गई। देवयानी ने शुक्राचार्य को पूरी बात बता दी। ये बात सुनकर दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने ययाति को शाप दे दिया कि वह युवा अवस्था में ही वृद्ध हो जाएगा।
इस शाप से ययाति वृद्ध हो गए। इसके बाद ययाति ने शुक्राचार्य से क्षमा मांगी। दैत्य गुरु ने ययाति को शाप से मुक्ति का तरीका तो बता दिया, लेकिन राजा के वैवाहिक जीवन से सुख, विश्वास और सम्मान खत्म हो चुका था। वैवाहिक जीवन में सुख बनाए रखने के लिए पति-पत्नी को एक-दूसरे का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए।
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