शनिवार, 21 जनवरी को माघी (मौनी) अमावस्या है। माघी अमावस्या पूजा-पाठ, नदी स्नान, तीर्थ दर्शन के साथ ही मौन रहने का पर्व है। मौन रहने से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। पुराने समय में ऋषि-मुनि लंबे समय तक मौन व्रत धारण करते थे। मौन रहकर किए गए पूजन और ध्यान करने का फल जल्दी मिल सकता है। मौन रहने से हमारी वाणी के दोष दूर होते हैं। हम मौन रहेंगे तो गलत बातें बोलने से बचे रहते हैं और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पूरे साल में सिर्फ ये एक ऐसा पर्व है जो हमें मौन रहने का महत्व बताता है। जब हम मौन रहते हैं तो मन शांत रहता है, दिमाग तेज चलता है और तनाव दूर होता है। मौन रहने से घर-परिवार में वाद-विवाद नहीं होते हैं। गुस्से में लोग बोलते समय अनियंत्रित हो जाते हैं और पुराने रिश्ते भी टूट जाते हैं। इसलिए गुस्से के समय मौन धारण कर लिया जाए तो बड़ी-बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है।
बोलकर मंत्र जप करने से ज्यादा अच्छा है मौन रहकर मंत्र जप किया जाए। मौन रहकर जप करना यानी ध्यान करते हुए अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना और उनका ध्यान करना।
मौन व्रत के साथ ही अमावस्या पर कर सकते ये हैं शुभ काम
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत जरूर धारण करें। इसके साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। किसी तीर्थ की यात्रा करें। नदी में स्नान करें। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज के साथ ही कपड़ों का, जूते-चप्पल का दान करें। गाय को घास, मछलियों को आटे की गोलियां, पक्षियों को अनाज खिलाएं।
किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें। पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, चावल, घी, तेल, रुई की बत्तियां, धूप, गुलाल, हार-फूल, प्रसाद के लिए मिठाई आदि। किसी मंदिर का फूलों से श्रृंगार करवा सकते हैं।
हनुमान जी का सिंदूर और चमले के तेल से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
शिवलिंग पर जल, दूध और फिर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतुरा, आंकड़े के फूल आदि चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें।
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