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माघ पूर्णिमा से जुड़ी परंपराएं:सुबह नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और दान-पुण्य जरूर करें, शाम को चंद्र को दें अर्घ्य

4 महीने पहले
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रविवार, 5 फरवरी को माघ मास खत्म हो रहा है, इस दिन पूर्णिमा, संत रविदास जयंती रहेगी और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। सर्वार्थ सिद्ध योग की वजह से इस दिन की गई पूजा-पाठ और दान-पुण्य से कभी न खत्म होने वाला अक्षय पुण्य मिलता है। जानिए इस शुभ तिथि से जुड़ी खास बातें...

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में माघी पूर्णिमा को बहुत पुण्य पर्व बताया गया है। मान्यता है कि इस तिथि पर सभी देवी-देवता प्रयागराज के संगम में स्नान करने पहुंचते हैं।

हर साल माघ मास में प्रयागराज में मेला लगता है। पूरे महीने में देश-दुनिया से लाखों भक्त प्रयागराज पहुंचते हैं, संगम में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और पूजा-पाठ, मंत्र जप करते हैं। इस तिथि पर शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।

माघी पूर्णिमा पर अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। ये हैं खास देवी-देवताओं के मंत्र - ऊँ नम: शिवाय, श्री गणेशाय नम:, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, ऊँ दुं दुर्गायै नम:, ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ सों सोमाय नम:, ऊँ श्रीरामदूताय नम:, कृं कृष्णाय नम:, रां रामाय नम:, ऊँ महालक्ष्म्यै नम:।

पूर्णिमा पर करना चाहिए ग्रंथों का पाठ

पूर्णिमा तिथि को भी एक पर्व की तरह माना जाता है। पूजा-पाठ, दान-पुण्य के साथ ही इस दिन रामायण, शिव पुराण, श्रीमद् भगवद् गीता, विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। समय अभाव की वजह से पूरे ग्रंथ का पाठ नहीं कर पा रहे हैं तो ग्रंथ के किसी एक अध्याय का किसी एक प्रसंग का पाठ करना चाहिए। आप चाहें तो भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ भी कर सकते हैं। पाठ के बाद ग्रंथ में बताई गए उपदेशों को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।

माघी पूर्णिमा पर न करें ये काम

पूर्णिमा पर घर में क्लेश न करें। घर में साफ-सफाई करें। आपसी प्रेम बनाए रखें। नशा न करें। पूजा-पाठ के साथ ही भगवान के सामने अधार्मिक कामों से दूर रहने का संकल्प लें।

माघी पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी

पूर्णिमा पर घर पर पानी में गंगाजल, काले तिल, चंदन मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। स्नान के बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। गणेश पूजा करें।

बाल गोपाल का अभिषेक करें और माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का केसरिया दूध से अभिषेक करें। घर में पूजा-पाठ करने के बाद काले तिल, खाना, कपड़े, अनाज, काला कंबल का दान करें।

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