शुक्रवार, 13 मई को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। त्रयोदशी पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में शिव-पार्वती की विशेष पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है। जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं, शिव कृपा से दैनिक जीवन में सफलता, सुख-शांति मिल सकती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार प्रदोष व्रत में शिव-पार्वती के साथ ही पूरे शिव परिवार की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा और व्रत जल्दी सफल हो सकते हैं। शिव परिवार में शिव-पार्वती के साथ गणेश जी, कार्तिकेय स्वामी और नंदी शामिल हैं। इन सभी की पूजा एक साथ करने का महत्व काफी अधिक है।
प्रदोष व्रत पर सूर्यास्त के बाद पूजा करने की परंपरा है। शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि शाम से ही शुरू होगी और अगले दिन यानी 14 मई की दोपहर तक रहेगी। इसलिए शुक्रवार की शाम प्रदोष की पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शुक्र प्रदोष पर की गई शिव पूजा से सौभाग्य में बढ़ोतरी हो सकती है।
ऐसे कर सकते हैं प्रदोष व्रत
शिव पूजा के साथ ही दान-पुण्य जरूर करें
प्रदोष व्रत पर किसी मंदिर में पूजन सामग्री, धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला के लिए हरी घास की व्यवस्था करें। इस दिन किसी शिव मंदिर में मिट्टी का कलश जल भरकर दान करें।
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