श्रीराम प्रकटोत्सव 30 मार्च को:श्रीराम की सीख - हालात कैसे भी हों, हमें सकारात्मकता, धैर्य और शांति के साथ काम करना चाहिए

2 महीने पहले
  • कॉपी लिंक

गुरुवार, 30 अप्रैल को श्रीराम का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। श्रीराम की पूजा करें और उनके जीवन से सीख लेंगे तो हमारे जीवन में भी शांति आ सकती है। जानिए श्रीराम से जुड़ा एक ऐसा प्रसंग, जिसमें धैर्य और सकारात्मकता का संदेश मिलता है।

रामायण में राजा दशरथ ने घोषणा कर दी थी कि श्रीराम का राज्याभिषेक होगा। इस बात से अयोध्या में सभी खुश थे, लेकिन राज्याभिषेक से ठीक पहले सारी परिस्थितियां ही बदल गईं।

राज्याभिषेक से पहले मंथरा ने कैकयी को अपनी बातों में फंसा लिया। मंथरा की बातों में कैकयी ऐसी उलझी कि उन्होंने राजा दशरथ से भरत के लिए राजपाठ और राम के लिए वनवास मांग लिया। दशरथ ने कैकयी को दो वचन दिए थे, इस कारण वे कैकयी की ये दो बातें मानने के लिए मजबूर हो गए।

दशरथ ने श्रीराम को बुलवाया और ये बातें बताईं। श्रीराम ने अपने पिता की बातें ध्यान से सुनीं और धैर्य बनाए रखा। पिता के दो वचनों को पूरा करने के लिए श्रीराम वनवास जाने के लिए तैयार हो गए।

उस समय दशरथ ने कैकयी से कहा था कि तुम राम को वनवास जाने से रोक लो। राम ने कभी भी धैर्य नहीं खोया है। वह हर काम शांति से करता है। अगर तुम ये सोच रही हो कि वनवास भेजकर राम को कोई सजा दे रही हो तो ये सोच ही गलत है। राम कभी विचलित नहीं होता है।

दशरथ में कैकयी को बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं मानीं। जिस समय श्रीराम का राज्याभिषेक होना था, उसी समय वे खुशी-खुशी वनवास चले गए।

श्रीराम की सीख

इस प्रसंग में श्रीराम संदेश दिया है कि हमारे जीवन में हालात कभी बदल सकते हैं। इसलिए हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। अचानक परेशानियां आ जाएं, तब भी हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए। शांति से हालात को समझें और जिस काम में सभी का भला होता है, वह काम करना चाहिए। धैर्यवान व्यक्ति बड़ी-बड़ी समस्याओं को भी आसानी से हल कर लेता है।