शुक्रवार, 21 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे रमा एकादशी कहते हैं। दीपावली (24 अक्टूबर) से पहले आने वाली इस एकादशी का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इस दिन विष्णु जी के साथ महालक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है। दीपोत्सव के लिए रमा एकादशी से काफी लोग अपने-अपने घर के बाहर दीपक जलाना शुरू कर देते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक वैसे तो एकादशी पर विष्णु जी के लिए व्रत-उपवास किए जाते हैं, लेकिन रमा एकादशी पर लक्ष्मी पूजा भी करनी चाहिए, रमा लक्ष्मी जी का ही एक नाम है। शुक्रवार को एकादशी होने से इस दिन शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा जरूर करें।
ऐसे कर सकते हैं रमा एकादशी का व्रत
सूर्यास्त के बाद भी करें पूजा
सुबह की पूजा के बाद और शाम को भी ऊपर बताई गई विधि से पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी-विष्णु की पूजा के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं, चुनरी ओढ़ाएं। अगले दिन यानी शनिवार (द्वादशी) को फिर पूजा करें और पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। इसके बाद ही खुद खाना खाएं। इस तरह एकादशी का व्रत पूरा होता है।
एकादशी पर करें शिव पूजा भी
कुंडली में शुक्र ग्रह से संबंधित दोष हों तो शुक्रवार को शिव पूजा करनी चाहिए। शिव पूजा से शुक्र ग्रह के दोष दूर हो सकते हैं। इस दिन शिव जी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और चांदी के लोटे से दूध अर्पित करें। इसके बाद दोबारा जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। शिवलिंग पर बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा चढ़ाएं। चंदन का तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं। शिवलिंग के सामने बैठकर शिव जी के मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। पूजा के अंत में क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
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