अगर कोई लक्ष्य बड़ा है और उसे पूरी टीम के साथ पूरा करना है तो अपने साथियों की योग्यता को समझना चाहिए। साथियों की योग्यता का सही उपयोग करें और उन भरोसा करेंगे तो लक्ष्य पूरा हो सकता है। हम ये बात श्रीराम से सीख सकते हैं।
रामायण में सीता हरण के बाद हनुमान जी ने लंका जाकर सीता जी को खोज लिया था। हनुमान जी लंका से लौटकर आए और सीता जी की जानकारी श्रीराम को दी। इसके बाद श्रीराम वानर सेना के साथ दक्षिण दिशा में समुद्र तट पर पहुंच गए थे। श्रीराम और पूरी वानर को समुद्र पार करके लंका पहुंचना था।
पूरी वानर सेना को लेकर समुद्र पार करना बहुत मुश्किल था। श्रीराम ने समुद्र के देवता से बार-बार प्रार्थना की कि वे वानर सेना के लिए रास्ता दे दें, लेकिन समुद्र देव श्रीराम की प्रार्थना पर ध्यान नहीं दे रहे थे। उस समय श्रीराम को क्रोध आ गया और उन्होंने समुद्र को सूखाने के लिए धनुष पर बाण चढ़ा लिया। श्रीराम के क्रोध से डरकर समुद्र देव प्रकट हुए। तब समुद्र देव ने श्रीराम को नल-नील के बारे में बताया कि ये दोनों विश्वकर्मा के पुत्र हैं।
इन दोनों को ये शाप मिला है कि ये जो भी चीज पानी में डालेंगे, वह डूबेगी नहीं। आप इनकी मदद से समुद्र पर सेतु बांधकर रास्ता बना सकते हैं। इसके बाद श्रीराम ने नल-नील को समुद्र पर सेतु बनाने का काम सौंप दिया। नल-नील ने वानर सेना की मदद से पत्थरों का सेतु समुद्र पर बांध दिया। इस सेतु पर चलकर पूरी वानर सेना लंका पहुंच गई।
सीख - श्रीराम ने हमें यहां ये संदेश दिया है कि हमें अपने साथियों की योग्यता मालूम होनी चाहिए। साथियों को उनकी योग्यता के अनुसार काम देंगे और उन पर पूरा भरोसा करेंगे तो सफलता जरूर मिलती है। टीम वर्क में सभी साथियों की योग्यता का सही इस्तेमाल करने से लक्ष्य पूरा होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
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