आज (17 जनवरी) नौ ग्रहों में सबसे धीरे-धीरे चलने वाला ग्रह शनि राशि बदल रहा है। शनि मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। शनि के राशि परिवर्तन की तारीख को लेकर पंचांग भेद भी हैं। शनि एक राशि में करीब ढाई साल रुकता है। इस वजह से 12 राशियों का एक चक्र पूरा करने में शनि को करीब 30 साल लगते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानिए शनि से जुड़ी खास बातें...
सूर्य पुत्र हैं शनि देव
शनिदेव को कर्म प्रधान देवता माना जाता है। ये ग्रह हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करता है। शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र हैं, जबकि यमुना और यमराज सूर्य-संज्ञा की संतानें हैं। इस वजह से शनि, यमराज और यमुना तीनों भाई-बहन हैं।
मकर और कुंभ राशि का स्वामी है शनि
शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। इन राशियों में शनि की स्थिति काफी मजबूत रहती है। शनि जिस राशि में रहता है, उस राशि पर और उसके आगे-पीछे वाली राशि पर भी साढ़ेसाती रहती है। जैसे शनि कुंभ में रहेगा तो मीन और मकर राशि पर भी साढ़ेसाती रहेगी। इनके साथ ही दो राशियों पर शनि की ढय्या रहती है। अब कर्क और वृश्चिक राशि पर ढय्या रहेगी।
कुंडली में शनि का शुभ-अशुभ असर
पं. शर्मा कहते हैं, जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति ठीक नहीं होती है, उन्हें किसी भी काम में आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है। शनि के कारण पैरों से जुड़ी दिक्कत हो सकती है। जिन लोगों ने जाने-अनजाने में कोई गलत काम किया है तो शनि साढ़ेसाती और ढय्या में उन कामों का फल प्रदान करता है। कुंडली में शनि की स्थिति शुभ हो तो मेहनत जल्दी सफल होती है। घर-परिवार और समाज में सम्मान मिलता है।
शनि के लिए करना चाहिए ये शुभ काम
शनि ग्रह की पूजा करने से कुंडली के शनि दोषों का असर कम हो सकता है। हर शनिवार सरसों का तेल से शनि देव का अभिषेक करना चाहिए। तेल का दान करना चाहिए। इस ग्रह के दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की पूजा भी कर सकते हैं। शनि हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करता है, ऐसी मान्यता है।
हर शनिवार शमी के वृक्ष की भी पूजा करें, शमी के पत्ते शनि देव को चढ़ाएं। जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल का दान करें।
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