चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को लक्ष्मीजी की पूजा और व्रत किया जाता है। इसे श्रीपंचमी या श्रीलक्ष्मी व्रत भी कहते हैं। इस बार ये व्रत 26 मार्च, रविवार को है। इस व्रत से धन व ऐश्वर्य मिलता है।
पंचमी पर ग्रहों की शुभ स्थिति से प्रीति और रवियोग बन रहा है। जिससे इस दिन की गई लक्ष्मी पूजा से सुख और समृद्धि बढ़ेगी। वहीं, खरीदारी और निवेश का फायदा लंबे समय तक मिलेगा।
लक्ष्मी पंचमी व्रत मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर भी करते हैं। जिसका महत्व भी अलग होता है। लेकिन हिंदु नववर्ष की पहली श्री पंचमी होने से चैत्र महीने की इस पांचवी तिथि को बहुत खास माना गया है।
चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन
नवरात्रि की पांचवी तिथि देवी स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। वहीं, इस तिथि के स्वभाव के मुताबिक लक्ष्मीजी की भी पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष में इसे पूर्णा तिथि कहा गया है। यानी इसमें किए गए कामों में सफलता मिलना लगभग तय होता है।
पूजा विधि
चतुर्थी तिथि को नहाकर साफ कपड़े पहने और व्रत का संकल्प लें।
घी, दही और भात खाएं। पंचमी को नहाकर व्रत रखें और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
पूजा में धान्य (गेहूं, चावल, जौ आदि), हल्दी, अदरक, गन्ना व गुड़ चढ़ाकर कमल के फूलों से हवन करने का भी विधान है।
कमल न मिले तो बेल के टुकड़ों का और वे भी न हों तो केवल घी का हवन करें।
इस दिन कमल से युक्त तालाब में स्नान करके सोना दान करने से लक्ष्मीजी अति प्रसन्न होती है।
व्रत और पूजा का महत्व
श्रीपंचमी का व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य प्राप्ति होती है। घर में समृद्धि और सुख बढ़ता है। दरिद्रता और रोग नहीं होते। इस व्रत के प्रभाव से परिवार के सदस्यों की उम्र बढ़ती है। कई जगह ये व्रत मनोकामना पूरी करने के संकल्प के साथ किया जाता है।
चैत्र माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को लक्ष्मी जी पूजा और व्रत करने से हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और सोचे हुए काम भी पूरे हो जाते हैं।
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