सोमवार, 6 फरवरी से हिन्दी पंचांग का अंतिम महीना फाल्गुन शुरू हो गया है। इस महीने में चतुर्थी और एकादशी व्रत के साथ ही महाशिवरात्रि, होली जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं। ये पूरा महीना सेहत पर ध्यान देने का और प्रकृति के करीब रहने का है। इस महीने में शिव जी और भगवान विष्णु की पूजा खासतौर पर की जाती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक इस महीने की दोनों चतुर्थी (9 और 23 फरवरी) पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाएगा। दोनों एकादशी (16 फरवरी और 3 मार्च) पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास करना चाहिए। इन तिथियों के व्रत और पूजन से घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है और कार्यों में आ रही बाधाएं खत्म होती हैं।
महाशिवरात्रि से जुड़ी मान्यताएं
18 फरवरी को शिव पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, लेकिन मान्यताएं सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। पहली, पुराने समय में फाल्गुन मास की त्रयोदशी (प्रदोष व्रत) पर भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी का झगड़ा हो रहा था। दोनों देवता खुद को बड़ा बता रहे थे। उस समय एक लिंग के रूप में शिव जी प्रकट हुए और दोनों का झगड़ा शांत कराया।
दूसरी मान्यता ये है कि इस तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। देवी सती के वियोग में शिव जी तपस्या में बैठे हुए थे। उस समय तारकासुर से तीनों लोक त्रस्त थे। तारकासुर को वरदान मिला था कि उसका वध शिव जी के पुत्र द्वारा ही होगा। तब सभी देवताओं ने शिव जी से प्रार्थना की थी कि वे देवी पार्वती से विवाह कर लें। इसके बाद शिव जी और पार्वती जी का विवाह इसी तिथि पर हुआ था।
होली से जुड़ी मान्यता
7 मार्च को होलिका दहन होगा और 8 को होली खेली जाएगी। इस पर्व की मान्यता असुर हिरण्यकश्यपु से जुड़ी है। हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को शत्रु मानता था। उसके यहां प्रहलाद का जन्म हुआ, जो कि भगवान विष्णु का परम भक्त था। इस बात से गुस्सा होकर हिरण्यकश्यपु ने अपने ही पुत्र प्रहलाद को मारने की कई बार कोशिश की थी। हिरण्यकश्यपु की एक बहन थी होलिका। होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में जलेगी नहीं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होलिका प्रहलाद को मारने के लिए उसे लेकर आग में बैठ गई। विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद को बच गया, लेकिन होलिका आग में जल गई। तभी से होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा खास तौर पर की जाती है।
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