सूर्य मीन राशि में आ गया है और 14 अप्रैल तक इसी राशि में रहेगा। सूर्य जब गुरु ग्रह की धनु या मीन राशि में रहता है, उस समय को खरमास कहा जाता है। ये महीना पूजा-पाठ के नजरिए से बहुत शुभ है, लेकिन इस महीने में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए काम की शुरुआत जैसे कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। इस महीने में शास्त्रों का पाठ करने की परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, धर्म लाभ कमाने के लिए खरमास का हर एक दिन बहुत शुभ है। इस महीने में किए गए पूजन, मंत्र जप और दान-पुण्य का अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका शुभ असर पूरे जीवन बने रहता है। जानिए खरमास से जुड़ी खास बातें...
सूर्य देव करते हैं अपने गुरु बृहस्पति की सेवा
गुरु ग्रह यानी देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी है। सूर्य ग्रह सभी 12 राशियों में भ्रमण करता है और एक राशि में करीब एक माह ठहरता है। इस तरह सूर्य एक साल में सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा कर लेता है। इस दौरान सूर्य जब धनु और मीन राशि में आता है, तब खरमास शुरू होता है। इसके बाद सूर्य जब इन राशियों से निकलकर आगे बढ़ जाता है तो खरमास खत्म हो जाता है। ज्योतिष की मान्यता है कि खरमास में सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति के घर में रहते हैं और गुरु की सेवा करते हैं।
खरमास में क्यों नहीं रहते हैं शुभ मुहूर्त
इस महीने में सूर्य देव अपने गुरु की सेवा करते हैं। शास्त्रों में पंचदेव (गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्य देव) बताए गए हैं और सूर्य भी उनमें शामिल हैं। किसी भी काम की शुरुआत में इन पांचों देवताओं की पूजा की जाती है और इन्हें पूजन में आमंत्रित किया जाता है, लेकिन सूर्य देव तो गुरु की सेवा में रहते हैं, इस कारण वे हमारे शुभ काम में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। सूर्य की अनुपस्थिति में किए गए शुभ काम सफल नहीं हो पाते हैं। इसी मान्यता की वजह से खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।
पूजा, मंत्र जप के साथ और कौन से शुभ काम खरमास में कर सकते हैं
खरमास में अपने इष्टदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए। मंत्र जप करना चाहिए। इनके साथ ही इस महीने में पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन और पूजन करना चाहिए। तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें अपने घर पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए। पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
खरमास में भगवान की कथाएं पढ़नी-सुननी चाहिए। रामायण, श्रीमद् भगवद् कथा, शिव पुराण, विष्णु पुराण आदि ग्रंथों का पाठ करें। रोज अपने समय के अनुसार इन ग्रंथों के अध्यायों का पाठ कर सकते हैं, इस तरह माह में पूरे ग्रंथ का पाठ हो सकता है।
पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल का दान जरूर करें। किसी गोशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान कर सकते हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.