आज (रविवार, 20 नवंबर) अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं, क्योंकि इस तिथि पर एकादशी नाम की एक देवी प्रकट हुई थीं। रविवार को एकादशी होने से इस दिन विष्णु के साथ ही सूर्यदेव, शिव जी, श्रीकृष्ण की पूजा जरूर करें। सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। सभी तरह के पूजन कर्म की शुरुआत गणेश पूजा से करनी चाहिए। इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक अगहन महीने में श्रीकृष्ण की पूजा रोज करनी चाहिए, क्योंकि इस महीने को श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है। जो लोग ये व्रत करते हैं, उन्हें सुबह विष्णु पूजा के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए।
दिनभर अन्न से परहेज करें। जो लोग पूरे दिन भूखे नहीं रह पाते हैं, उन्हें फलाहार करना चाहिए, फलों के रस और दूध का सेवन किया जा सकता है। शाम को भी विष्णु पूजा करनी चाहिए। भगवान के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करते रहना चाहिए। अगले दिन यानी द्वादशी (21 नवंबर) तिथि पर सुबह विष्णु पूजन के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाएं। दान-पुण्य करें। इसके बाद खुद भोजन करें। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।
सूर्यास्त के बाद करें तुलसी पूजा
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। तुलसी के बिना इन देवताओं को भोग नहीं लगाया जाता है। एकादशी तिथि पर सूर्यास्त के बाद तुलसी पूजा जरूर करनी चाहिए।
तुलसी के पास दीपक जलाएं, चुनरी ओढ़ाएं और परिक्रमा करें। ध्यान रखें शाम को तुलसी को स्पर्श न करें। दूर से ही पूजा करें। भोग लगाएं, धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
एकादशी पर तुलसी पूजन से घर में बनी रहती है सुख-समृद्धि
तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसलिए मान्यता प्रचलित है कि एकादशी पर तुलसी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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