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भारत में कई पुराने चर्च है। जो पुर्तगालियों और अंग्रेजों ने बनवाए थे। क्रिसमस पर इन चर्च में कई लोग प्रार्थना करने आते हैं। देश में केरल, गोवा और कलकत्ता सहित कई शहरों में सालों पुराने चर्च हैं। इनमें से केरल के कोच्चि शहर में भारत का पहला यूरोपीय चर्च है। वहीं, केरल के ही एर्नाकुलम का चर्च 400 साल पुराना है। कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल एशिया का पहला ऐसा चर्च है जो किसी संत के नाम पर बनाया गया था। इनके अलावा गोवा का द अवर लेडी ऑफ इम्मेक्यूलेट कन्सेप्शन 478 साल पुराना चर्च है।
1. सेंट फ्रांसिस चर्च, कोच्चि: भारत का पहला यूरोपीय चर्च
सेंट फ्रांसिस चर्च केरल के कोच्ची शहर में है। ये सन् 1503 में बना है। इसे भारत का पहला यूरोपीय चर्च माना जाता है। इस चर्च से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि महान पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा को मरने के बाद इसी चर्च में दफनाया गया था। इस चर्च को कोच्चि के सांस्कृतिक इतिहास में खास जगह मिली हुई है। ये चर्च मौजूदा समय में काफी प्रसिद्ध है। यहां हर दिन हजारों लोग जाते हैं। यहां कई पुरानी और ऐतिहासिक चीजें मौजूद हैं, जो लोगों को यहां आने के लिए लुभाती हैं।
2. ऑवर लेडी ऑफ रैनसम, केरल: 1951 में शामिल हुआ राष्ट्रीय तीर्थ स्थानों की सूची में
केरल के एर्नाकुलम में बना चर्च ऑवर लेडी ऑफ रैनसम के नाम भी जाना जाता है। इसे यहां के लोगों द्वारा प्यार से ईसा की मां मेरी को वल्लार्पदाथाम्मा के नाम से पुकारा जाता है। इस चर्च को 1524 में कुछ पुर्तगालियों ने बनवाया था। हालांकि, 1676 में एक भारी बाढ़ की वजह से ये टूट गया था। इसके बाद इस चर्च को फिर से बनवाया गया। इसे 1951 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय तीर्थ स्थल का दर्जा भी दे दिया था। इस चर्च में केरल के अलावा भी दूसरे राज्यों से लोग दर्शन करने आते हैं।
3. द अवर लेडी ऑफ इम्मेक्यूलेट कन्सेप्शन: 478 साल पुराना चर्च
गोवा की राजधानी पणजी में द अवर लेडी ऑफ इम्मेक्यूलेट कन्सेप्शन चर्च बना है। ये भारत ही नहीं दुनियाभर में अपनी प्राचीनता और धार्मिक महत्व के कारण पहचान रखता है। 1541 में एक छोटे उपासना स्थल के रूप में इसे बनाया गया था। इसके बाद 1600-1609 के दौरान इसने एक विशाल और खूबसूरत चर्च का आकार ले लिया। 478 साल पुराने इस चर्च के मुख्य उपासना वाली जगह को मदर मेरी को समर्पित किया गया है। इसमें मुख्य आल्टर के अलावा दो अन्य गोल्ड प्लेटेड आल्टर भी हैं जो मुख्य आल्टर के आजू-बाजू हैं। बाएं तरफ जीजस क्रूसिफिक्सिअन और दाएं तरफ के हिस्से को लेडी ऑफ रोजरी को समर्पित किया गया है। यहां सेंट पीटर और सेंट पॉल के संगमरमर के स्टैच्यू भी हैं। चर्च का इंटीरियर बेहद कलरफुल है।
4. सेंट पॉल कैथेड्रल, कोलकाता : एशिया में संत के नाम पर बना पहला चर्च
कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च एशिया का पहला ऐसा चर्च था जो किसी संत के नाम पर बनाया गया था। इसलिए इसे एशिया का पहला एपिस्कोपल चर्च कहा जाता है। इस चर्च के अंदरूनी हिस्से में पवित्र कर्मों का चित्रण किया गया है। ये चर्च गोथिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना माना जाता है। इसकी आधारशिला 1839 में रखी गई थी और साल 1847 में बन गया था। ये चर्च कुछ-कुछ इंग्लैंड के नॉर्विच कैथेड्रल की तरह दिखता है। दो बार भूकंप की वजह से ध्वस्त भी हो चुका है, जिसे फिर से बनाया गया है।
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