देवी आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है। इस बार एक भी तिथि कम नहीं हो रही है। इस वजह से शक्ति आराधना पूरे नौ दिनों तक करेंगे। इसमें तीन खास तिथियां रहेंगी। जिनमें तीन अक्टूबर को महाअष्टमी का व्रत है। चार को नवमी का हवन और पांच को विजया दशमी पर्व मनाया जाएगा।
खास बात ये कि नवरात्रि सोमवार से शुरू हो रही है और बुधवार को दशहरा रहेगा। इस कारण देवी के धरती पर आने और जाने का वाहन हाथी ही रहेगा। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि कि माता का आना और जाना दोनों काफी शुभ व फलदायी है। ये आने वाले साल में अच्छी बारिश का संकेत है।
अखंड नवरात्रि का होना शुभ संकेत
नवरात्रि में अक्सर तिथियां कम-ज्यादा हो जाती हैं। ग्रंथों में इसे शुभ-अशुभ संकेत बताया है। जानकार कहते हैं कि नवरात्रि के दौरान तिथियां नहीं घटती तो ये अखंड नवरात्रि होती है, जो कि शुभ संकेत है। इस कारण देश में समृद्धि और सुख बढ़ता है। ये देश की ओर इशारा है। नवरात्रि में तिथियां नहीं घटती तो ये देवी आराधना का पूरा फल मिलने का भी संकेत माना गया है।
इस नवरात्रि की खास तिथियां
26 सितंबर, सोमवार को कलश स्थापना
3 अक्टूबर, सोमवार को महाअष्टमी व्रत और पूजा
4 अक्टूबर, मंगलवार को नवमी व्रत और कन्या पूजा
5 अक्टूबर, बुधवार को विजयादशमी यानी दशहरा
शारदीय नवरात्रि में होती है नवदुर्गा की पूजा
अमूमन अक्टूबर में आने वाली नवरात्रि में देवी के रूपों की पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया है। इन दिनों में पहला रूप शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा और इसी तरह क्रम से कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। देवी के इन रूपों की पूजा और आराधना से अलग-अलग शुभ फल मिलता है।
एक साल में चार बार आते है नवरात्र
डॉ. मिश्र कहते हैं कि नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्रि कहा जाता है। एक साल में चार बार नवरात्रि आती है। इसमें बसंत ऋतु में आने वाली चैत्र या वासंतिक नवरात्रि होती है। शरद ऋतु यानी आश्विन मास में आने वाले शक्ति पर्व को शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। इनके अलावा दो यानि गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ महीने के दौरान आते है। इस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की साधना होती है।
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