2022 में 17 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे बद्रीनाथ:शीतकाल के लिए बंद हुए बद्रीनाथ धाम के कपाट, अब अगले साल अप्रैल-मई में खुलेगा मंदिर

4 महीने पहले
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उत्तराखंड के चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज (19 नंवबर) बंद हो गए हैं। बद्रीनाथ धाम देश के चारधामों में भी शामिल है। ये तीर्थ चामोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। ठंड के दिनों में यहां का वातावरण बहुत ज्यादा ठंडा हो जाता है, बर्फबारी होती है, इस वजह से बद्रीनाथ मंदिर के कपाट शीत ऋतु में बंद कर दिए जाते हैं। साल 2022 में 17 लाख से ज्यादा लोगों ने बद्रीनाथ धाम में दर्शन किए हैं। इससे पहले केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद हो चुके हैं। अब अगले साल अप्रैल-मई में इन चारों धामों के कपाट फिर से भक्तों के लिए खोले जाएंगे।

कपाट बंद होने के बाद नारद मुनि करते हैं बद्रीनाथजी की पूजा

बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भूवनचंद्र उनियाल कहते हैं कि बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद यहां नारद मुनि पूजा-पाठ का दायित्व संभालते हैं। जब धाम के कपाट खुले रहते हैं, तब यहां नर यानी रावल पूजा करते हैं और बंद होने पर नारद जी पूजा करते हैं। इस मंदिर के पास ही लीलाढुंगी नाम की एक जगह है। यहां नारद जी का प्राचीन मंदिर है। इस बार यहां 17 लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे हैं।

बद्रीनाथ धाम से जुड़ी खास बातें

  • पुराने समय में भगवान विष्णुजी ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी।
  • लक्ष्मीजी के इस सर्मपण से भगवान प्रसन्न हुए। विष्णुजी ने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था।
  • पौराणिक कथाओं के मुताबिक नर-नारायण ने बद्री नामक वन में तप की थी। यही उनकी तपस्या स्थली है।
  • महाभारत काल में नर-नारायण ने श्रीकृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतार लिया था।
  • यहां श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्ध बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बद्रीनाथ यहां निवास करते हैं।
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